कोरोना की दूसरी लहर से अर्थव्यवस्था के प्रभावित होने के बावजूद चालू वित्त वर्ष में अब तक प्रत्यक्ष कर संग्रह पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में करीब दोगुना रहा। अग्रिम कर भुगतान की पहली किस्त के जमा होने से पहले ही कर संग्रह में शानदार वृद्घि दर्ज की गई। इसके उलट आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होने की वजह से पिछले महीने वस्तु एवं सेवा कर संग्रह कम रहा।
इस साल 11 जून तक रिफंड के बाद शुद्घ प्रत्यक्ष कर संग्रह 1.62 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल समान अवधि के 0.87 लाख करोड़ रुपये से 85 फीसदी अधिक है। दिलचस्प है कि सामान्य वर्ष 2019-20 की समान अवधि के मुकाबले भी इस साल कर संग्रह 33 फीसदी ज्यादा रहा। 2019-20 में समान अवधि के दौरान 1.22 लाख करोड़ रुपये कर संग्रह हुआ था। प्रत्यक्ष कर संग्रह में आयकर और निगमित कर दोनों शामिल होते हैं।
कर संग्रह में वृद्घि कर अधिकारियों के लिए भी राहत की खबर है। हालांकि कुछ लोग प्रत्यक्ष कर विवाद समाधान योजना विवाद से विश्वास, कम कर रिफंड को इसका योगदान देते हैं। दूसरी ओर कुछ का कहना है कि अनुपालन और प्रवर्तन में सुधार से कर संग्रह बढ़ा है। सकल कर संग्रह 1.93 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 54 फीसदी ज्यादा है। हालांकि रिफंड 17 फीसदी घटकर 31,000 करोड़ रुपये रहा। पिछले साल इस दौरान 37,300 करोड़ रुपये का रिफंड किया गया था।
मुंबई में कर संग्रह 80 फीसदी बढ़कर 48,000 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल इस दौरान 27,000 करोड़ रुपये था। दिल्ली में कर संग्रह 67 फीसदी बढ़कर 20,000 करोड़ रुपये रहा। पिछले साल समान अवधि में दिल्ली में 12,000 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष कर मिला था। इसी तरह चेन्नई में प्रत्यक्ष कर संग्रह 120 फीसदी और पुणे में 150 फीसदी का इजाफा हुआ है। अग्रिम कर की पहली किस्त का भुगतान 15 जून तक किया जाना है।
विवाद से विश्वास योजना के तहत मार्च तक सीबीडीटी को 54,005 करोड़ रुपये मिले थे। हालांकि महामारी की दूसरी लहर के मद्देनजर इस योजना के तहत भुगतान की अवधि को बढ़ाकर 30 जून कर दिया गया था।
विशेषज्ञों का कहना है कि निर्यात में मजबूती और कंपनियों द्वारा लागत में कटौती से प्रत्यक्ष कर में तेजी आई है। कुछ कर सलाहकारों का कहना है कि आर्थिक गतिविधियों पर पिछले साल जितना असर नहीं पडऩे के कारण कर संग्रह ज्यादा रहा है।
इक्रा रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘कोविड की दूसरी लहर के बीच यह स्पष्ट नहीं है कि निर्यात में मजबूती और लागत में लगातार कटौती से निगमित कर संग्रह बढ़ा है।’
जीएसटी संग्रह मई में आठ माह में सबसे कम 1.02 लाख करोड़ रुपये रहा था। हालांकि मई में देश का निर्यात पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 67.39 फीसदी बढ़कर 32.21 अरब डॉलर रहा।
