भारतीय कंपनियों की विदेश में सीधे सूचीबद्धता के लिए स्वीकृत देशों में चीन और हॉन्ग कॉन्ग को बाहर रखा जा सकता है। इसकी वजह यह है कि सीमा पर झड़प के बाद दोनों देशों के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है।
सूत्रों का कहना है कि वित्त और कंपनी मामलों के मंत्रालय समेत संबंधित मंत्रालय और नियामकों ने इसका खाका लगभग पूरा तैयार कर लिया है, जिसे इस महीने के आखिर तक जारी किया जा सकता है। इस घटनाक्रम से परिचित एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘नए खाके में किसी भारतीय कंपनी को केवल उन अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंजों में सूचीबद्ध होने की मंजूरी होगी, जिन्हें भारत के धन शोधन रोकथाम अधिनियम के नियमों के तहत स्वीकृति होगी।’
यह कदम भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की विशेषज्ञ समिति की वर्ष 2018 की सिफारिश के विपरीत है, जिसने चीन और हॉन्ग कॉन्ग में सूचीबद्धता की मंजूरी देने को कहा था। इसने 10 स्वीकृति दिए जा सकने वाले क्षेत्रों की सूची दी थी, जिनमें अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, जापान, हॉन्ग कॉन्ग, दक्षिण कोरिया, स्विटजरलैंड, फ्रांस, जर्मनी और कनाड़ा शामिल थे। इस समिति के मुताबिक उन क्षेत्रों के बारे में विचार किया जा सकता है, जहां मजबूत पूंजी बाजार, अधिक तरलता और मजबूत सूचीबद्धता शर्तें हैं।
हालांकि सरकार का मानना है कि इक्विटी और डिपॉजिटरी रिसिप्ट्स (डीआर) के लिए स्वीकृत क्षेत्र दो को छोड़कर आठ होने चाहिए। स्वीकृत क्षेत्र वे हैं, जिनकी जांच के मामलों में भारतीय अधिकारियों के साथ सूचना साझा और सहयोग करने की संधि हैं। इसके अलावा भारतीय कंपनियों की सूचीबद्धता से जुड़े निवेशकों, ब्रोकरों और निवेश बैंकरों को सूचीबद्ध कराना होगा और संबंधित क्षेत्र की सभी अनिवार्यताओं का पालन करना होगा।
इसके अलावा केंद्र सरकार के विदेशी सूचीबद्धता के नए रास्ते को वैकल्पिक रखने और मौजूदा डीआर रास्ते को नहीं बदलने की संभावना है। इस समय भारतीय कंपनियों को अमेरिकन डिपॉजिटरी रिसिप्ट्स या ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसिप्ट्स के रास्ते विदेशी पूंजी हासिल करने की मंजूरी है।
एक नियामक सूत्र ने कहा, ‘प्रत्यक्ष सूचीबद्धता का रास्ता इक्विटी शेयरों की डीआर या डेट सूचीबद्धता के मौजूदा तरीके के अतिरिक्त होगा। नए खाके में इक्विटी शेयरों की सीधे सूचीबद्धता के लिए डीआर निर्गम आवश्यक नहीं होगा। दोनों तरीके बने रहेंगे और निर्गमकर्ता कोई भी एक चुन सकता है।’ इसे वैकल्पिक रखने की वजह यह है कि अनुपालना की लागत अधिक है।
