भारत का फैक्टरी उत्पादन नवंबर में बढ़कर 5 माह के उच्च स्तर पर पहुंच गया है। वहीं खुदरा महंगाई दिसंबर में मामूली घटकर 12 महीने के निचले स्तर पर आ गई है। इससे सरकार को बहुप्रतीक्षित राहत मिली है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को वित्त वर्ष 24 का जो बजट पेश करने वाली हैं, उसके लिए उपलब्ध यह व्यापक संकेतक होगा।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर से जारी आंकड़ों से पता चलता है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई दर 5.72 प्रतिशत पर है, जो भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तय 6 प्रतिशत ऊपरी सीमा के नीचे बनी हुई है। दिसंबर में लगातार दूसरे महीने ऐसा हुआ है, क्योंकि खाद्य वस्तुओं के दाम में नरमी जारी है।
बहरहाल औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) से नापा जाने वाला फैक्टरी उत्पादन नवंबर में 7.1 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। ऐसा मुख्य रूप से अनुकूल आधार के असर से हुआ है। नवंबर में खनन और विनिर्माण क्षेत्र में क्रमशः 9.7 प्रतिशत और 6.1 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है, जबकि बिजली का उत्पादन दो अंकों में 12.7 प्रतिशत की दर से बढ़ा है।
दिसंबर में खाद्य महंगाई दर गिरकर 4.19 प्रतिशत रह गई है, जो नवंबर में 4.67 प्रतिशत थी। इसमें सब्जियों (15.08 प्रतिशत की कमी) और फलों (2 प्रतिशत), तैयार खाना (7.76 प्रतिशत) की अहम भूमिका रही है।
बहरहाल इस दौरान मांस और मछली (5.13प्रतिशत), अंडे (6.91 प्रतिशत), मोटे अनाज (13.79 प्रतिशत), दूध उत्पादों (8.51 प्रतिशत), दलहन (3.89 प्रतिशत), मसालों (20.35 प्रतिशत) की कीमत बढ़ी है।
हालांकि प्रमुख महंगाई दर जिसमें उतार चढ़ाव वाले खाद्य और ईंधन बाहर होते हैं, इनकी महंगाई दिसंबर में 6 प्रतिशत ऊपर बनी रही। हालांकि पहले की तुलना में इनमें मामूली गिरावट आई है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने पिछले महीने की मौद्रिक नीति के बयान में प्रमुख महंगाई दर बढ़े स्तर पर रहने को लेकर चिंता जताई थी और कहा था कि महंगाई के खिलाफ जंग अभी खत्म नहीं हुई है।
बैंक ऑफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का मानना है कि रिजर्व बैंक फरवरी की आगामी मौद्रिक नीति में नीतिगत दर में बढ़ोतरी जारी रखेगा और इसमें पिछली बढ़ोतरी के बाद 25 आधार अंक और वृद्धि हो सकती है। इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर का मानना है कि एमपीसी अब फरवरी में दर में वृद्धि के चक्र को विराम दे सकती है, क्योंकि खुदरा महंगाई उम्मीद से नीचे है और अक्टूबर-नवंबर 2022 के दौरान आईआईपी वृद्धि दर 1.3 प्रतिशत पर अटकी रही है।
पहले के कुछ महीनों के विपरीत उपभोग आधारित वस्तुओं के आईआईपी में नवंबर में बढ़ोतरी हुई है। 3-4 महीने के अंतर के बाद उपभोक्ता वस्तुओं (5.1 प्रतिशत), गैर उपभोक्ता वस्तुओं (8.9 प्रतिशत) में सकारात्मक वृद्धि हुई है। उतार चढ़ाव वाली पूंजीगत वस्तुओं में नवंबर में 20.7 प्रतिशत वृद्धि हुई है, जो निवेश मांग को दिखाता है। बुनियादी ढांचा वस्तुओं में 12.8 प्रतिशत वृद्धि हुई है, क्योंकि सरकार ने ज्यादा सार्वजनिक निवेश के माध्यम से पूंजीगत व्यय जारी रखा है।