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आतिथ्य क्षेत्र को कर्ज में राहत!

Last Updated- December 15, 2022 | 4:03 AM IST

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि कोविड-19 महामारी की वजह से संकट से गुजर रहे आतिथ्य (हॉस्पिटैलिटी) क्षेत्र के लिए कर्ज के भुगतान पर रोक (मॉरेटोरियम) की मियाद बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। वित्त मंत्रालय इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक से चर्चा कर रहा है।
भारतीय उद्योग एवं वाणिज्य महासंघ (फिक्की) के सदस्यों से बातचीत में आज वित्त मंत्री ने फिर कहा कि आतिथ्य समेत समूचे उद्योग के लिए कर्ज के पुनर्गठन पर रिजर्व बैंक के साथ बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा, ‘मुझे अच्छी तरह पता है कि आतिथ्य क्षेत्र को मॉरेटोरियम में विस्तार की या कर्ज पुनर्गठन की जरूरत है। हम रिजर्व बैंक के साथ मिलकर इस पर काम कर रहे हैं।’
केंद्रीय बैंक कर्ज भुगतान में छूट की अवधि 31 अगस्त तक बढ़ा चुका है यानी 31 अगस्त तक मॉरेटोरियम लागू रहेगा। लेकिन आतिथ्य क्षेत्र इसमें और भी इजाफे की मांग कर रहा है ताकि उसे पटरी पर आने में मदद मिले। होटल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एचएआई) ने कहा है कि इस महामारी के कारण पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र में मांग 90 फीसदी से ज्यादा घट गई है। इस क्षेत्र में करीब 4.5 करोड़ लोगों को रोजगा मिलता है, इसीलिए मॉरेटोरियम बढ़ाने की जरूरत है। उसने ब्याज दरों में भी चरणबद्घ कमीबेशी की मांग की है।
उधर बैंक मॉरेटोरियम की अवधि बढ़ाए जाने के खिलाफ हैं। उदारहण के लिए एचडीएफसी लिमिटेड के चेयरमैन दीपक पारेख ने रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास से पिछले दिनों ही अनुरोध किया कि मॉरेटोरियम नहीं बढ़ाया जाए। उन्होंने कहा कि कर्ज चुकाने की हैसियत वाली कई कंपनियां इस राहत का बेजा फायदा उठा रही हैं, जिसका वित्तीय क्षेत्र और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। फिक्की की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में सीतारमण ने यह भी कहा कि सरकार कोविड-19 के कारण कर्ज पुनर्गठन की उद्योग जगत की मांग पर भी रिजर्व बैंक के सासथ काम कर रही है। उन्होंने कहा, ‘सरकार का जोर कर्ज पुनर्गठन पर है। वित्त मंत्रालय इसके लिए रिजर्व बैंक के साथ सक्रियता से काम कर रहा है। कर्ज पुनर्गठन की जरूरत को सैद्घांतिक रूप से उचित माना जा रहा है।’
वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि विकास वित्त संस्था (डेवलपमेंट फाइनैंस इंस्टीट्यूशन) की स्थापना पर काम चल रहा है। उन्होंने कहा, ‘जल्द ही पता चल जाएगा कि इसका स्वरूप कैसा होगा।’ रिजर्व बैंक के गवर्नर ने हाल ही में कहा था कि फंसे कर्ज से जूझ रहे बैंक बहुत मदद नहीं कर पाएंगे, इसलिए उद्योग को बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए रकम जुटाने के नए रास्ते तलाशने होंगे। उनके बयान के बाद विकास वित्त संस्था की अहमियत बढ़ गई है। एक उच्चस्तरीय समिति ने पांच साल में करीब 111 लाख करोड़ रुपये की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए निवेश योजनाएं तैयार की हैं।
डीएफआई सरकार के स्वामित्व वाली संस्था होगी और उन परियोजनाओं के लिए रकम मुहैया कराएगी, जिन्हें वाणिज्यिक ऋणदाताओं से कर्ज नहीं मिल पाएगा।

First Published - July 31, 2020 | 11:39 PM IST

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