अर्थव्यवस्था

Crude Oil Imports: पश्चिम एशिया में टकराव के कारण ईरान से तेल आयात की योजना अधर में

Crude Oil Imports: रूस से तेल आयात पर भी दबाव बढ़ रहा है

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शुभायन चक्रवर्ती   
Last Updated- April 16, 2024 | 10:56 PM IST

पश्चिम एशिया में चल रहे ताजा टकराव के कारण ईरान से कच्चे तेल का आयात बहाल करने की भारत की शुरुआती योजना पटरी से उतर गई है। मामले से जुड़े अधिकारियों ने यह जानकारी दी। जनवरी में अधिकारियों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया था कि सरकार इस प्रस्ताव का अध्ययन कर रही है, क्योंकि भारत अपने आयात के स्रोतों को व्यापक बनाना चाहता है।

पेट्रोलियम मंत्रालय के एक अधिकारी ने सोमवार को कहा, ‘कच्चे तेल के आवक के मामले में हम हमेशा स्थिति की निगरानी करते हैं। ईरान से कच्चे तेल का आयात बहाल करने का प्रस्ताव था। लेकिन मौजूदा स्थिति को देखते हुए फिलहाल अब यह योजना दरकिनार कर दी गई है।’

भारत ने अब तक किसी ऐसे देश से तेल नहीं खरीदा है, जिस पर वैश्विक प्रतिबंध लगा हो। सरकार ने वेनेजुएला से तभी आयात शुरू किया, जब दक्षिण अमेरिकी देशों पर से अमेरिका ने प्रतिबंध खत्म कर दिया। ईरान से तेल आयात के मसले पर संभवतः विदेश मंत्री एस जयशंकर की जनवरी में हुई ईरान यात्रा के दौरान द्विपक्षीय बातचीत हुई थी।

ईरान से तेल आयात बहाल करने की योजना के पीछे कई वजहें थीं, जिसमें एक यह है कि ईरान पर क्षेत्रीय अस्थिरता का असर कम होता है। एक अधिकारी ने कहा, ‘ईरान से शिपमेंट फारस की खाड़ी और ओमान की खाड़ी होकर आती है, जहां हूती चरमपंथियों की सीमित मौजूदगी है।’ इसके अलावा हूती ईरान के शासन के सहयोगी भी हैं, जिससे तेहरान के लिए महत्त्वपूर्ण व्यापार में उनके हस्तक्षेप की आशंका नहीं रह जाती।

एक साल से अधिक समय से रूस के कच्चे तेल की बड़ी खेप मंगाने के बाद भारत अब पश्चिम एशिया के अपने परंपरागत तेल साझेदारों के साथ आपूर्ति के संबंध फिर से स्थापित करने की कवायद कर रहा है। जनवरी तक के आंकड़ों के मुताबिक ईराक और सऊदी अरब भारत के कच्चे तेल के दूसरे और तीसरे सबसे बड़े स्रोत थे। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि ईरान के तेल का आयात बहाल हो सकता है या नहीं, यह व्यापक कवायद का हिस्सा है।

बहरहाल रूस से आयात को लेकर भी दबाव बढ़ रहा है, क्योंकि अमेरिका ने रूस के प्रमुख टैंकर ग्रुप सोवकॉमफ्लोट पर फरवरी में नए प्रतिबंध लगाए हैं और इसकी वजह से भुगतान करने को लेकर चुनौतियां बढ़ रही हैं। भारत को मिल रहा डिस्काउंट भी अब घटकर सबसे निचले स्तर 3 से 4 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है।

2018-19 तक ईरान कच्चे तेल का भारत का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत था, जब 12.1 अरब डॉलर का तेल आयात हुआ था। जून 2019 में डॉनल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाली अमेरिकी सरकार ने परमाणु कार्यक्रम को लेकर ईरान पर नए सिरे से प्रतिबंध लगा दिया था।

First Published : April 16, 2024 | 10:56 PM IST