केंद्रीय लोक उपक्रमों (सीपीएसई) को ज्यादा स्वायत्तता देने के लिए सरकार ने 8 साल पुरानी अधिसूचना खत्म कर दी है। अब महारत्न, नवरत्न और मिनी रत्न सीपीएसई को संयुक्त उद्यम (जेवी) और पूर्ण स्वामित्त्व वाली सहायक इकाई (डब्ल्यूओएस) बनाने के लिए नीति आयोग से मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होगी। सार्वजनिक उद्यम विभाग (डीपीई) ने एक अधिसूचना में कहा है कि प्रक्रिया को आसान बनाने और इसमें लगने वाला वक्त कम करने के लिए यह फैसला किया गया है।
डीपीई ने 17 सितंबर की एक अधिसूचना में कहा है, ‘इस समय महारत्न, नवरत्न और मिनीरत्न सीपीएसई को सभी निवेश प्रस्तावों के लिए संयुक्त उद्यम/डब्ल्यूओएस बनाने संबंधी अपने सभी अधिकारों के इस्तेमाल के पहले नीति आयोग और दीपम से मंजूरी की जरूरत होती है। जेवी/डब्ल्यूओएस स्थापित करने की प्रक्रिया को तर्कसंगत और सरल बनाने की आवश्यकता महसूस की गई है, ताकि इस प्रक्रिया को आसान और कम समय लेने वाला बनाया जा सके।’
बहरहाल जेवी/डब्ल्यूओएस स्थापित करने के प्रस्ताव में पूंजी पुनर्गठन और पूंजी प्रबंधन से संबंधित सभी मामलों को निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) को भेजे जाने का प्रावधान बरकरार रखा गया।
इसके पहले 10 अगस्त, 2016 को जारी अधिसूचना में डीपीई (उस समय यह विभाग भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उपक्रम मंत्रालय के अधीन था) ने कहा था कि जेवी/डब्ल्यूओएस के प्रसार को देखते हुए वित्तीय संयुक्त उद्यम और सहायक इकाइयों की स्थापना के प्रस्ताव संबंधित सीपीएसई के बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किए जाएंगे और संबंधित प्रशासनिक मंत्रालय/विभाग उचित कार्रवाई के लिए बोर्ड में अपने प्रतिनिधि के माध्यम से बोर्ड के विचार-विमर्श के लिए हितधारक के रूप में ऐसे प्रस्तावों के लिए नीति आयोग की सहमति लेंगे।
इसने कहा था, ‘यह वांछनीय है कि सार्वजनिक निधि में ऐसा निवेश उचित जांच और पर्याप्त औचित्य के बाद किया जाए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ऐसे संयुक्त उद्यम या सहायक संस्थाएं स्थापित करने के लिए निवेश का निर्णय सरकार की नीतिगत सोच और रणनीतिक जरूरतों के अनुरूप हो और राजकोषीय विवेक के मानदंडों के अनुरूप हो।’
एक सरकारी अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि 2021 में डीपीई को वित्त मंत्रालय के अधीन किए जाने के बाद नीति आयोग के हस्तक्षेप की जरूरत समाप्त हो गई है। इस समय भारत में 14 महारत्न, 24 नवरत्न और 69 मिनीरत्न हैं। वित्त मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2024 के लिए अपने सालाना रिपोर्ट में कहा था कि सरकार की मंशा सीपीएसई को स्वायत्त बोर्ड से प्रबंधित कंपनियां बनाने की है।
इसमें कहा गया, ‘आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन के तहत सीपीएसई के निदेशक मंडल को बोर्ड स्तर से नीचे के कर्मचारियों की भर्ती, प्रोन्नति व अन्य सेवा शर्तों को लेकर स्वायत्तता मिली हुई है। सीपीएसई का निदेशक मंडल सरकार द्वारा समय-समय पर जारी व्यापक नीति दिशानिर्देशों के तहत दी गई शक्तियों का इस्तेमाल करता है।’
वित्त वर्ष 2019 के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों पर रिपोर्ट में संसद की समिति ने सिफारिश की थी कि स्वतंत्र विशेषज्ञों वाले अधिकार प्राप्त पीएसई बोर्डों से फैसलों की गुणवत्ता, कुल मिलाकर प्रबंधन की निगरानी और प्रशासन में सुधार होगा, साथ ही यह सुनिश्चित हो सकेगा कि करीब सभी रणनीतिक फैसले बोर्ड के स्तरपर लिए जा सकें और सबंधित मंत्रालयों से होकर यह प्रक्रिया नहीं गुजरेगी। इससे त्वरित फैसले किए जा सकेंगे।