facebookmetapixel
90% प्रीमियम पर लिस्ट हुए इस SME IPO के शेयर, निवेशकों को नए साल से पहले मिला तगड़ा गिफ्ट2026 में सोना-चांदी का हाल: रैली जारी या कीमतों में हल्की रुकावट?Gujarat Kidney IPO की शेयर बाजार में पॉजिटिव एंट्री, 6% प्रीमियम पर लिस्ट हुए शेयरGold silver price today: सोने-चांदी के दाम उछले, MCX पर सोना ₹1.36 लाख के करीबDelhi Weather Today: दिल्ली में कोहरे के चलते रेड अलर्ट, हवाई यात्रा और सड़क मार्ग प्रभावितNifty Outlook: 26,000 बना बड़ी रुकावट, क्या आगे बढ़ पाएगा बाजार? एनालिस्ट्स ने बताया अहम लेवलStock Market Update: शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव, सेंसेक्स 50 अंक टूटा; निफ्टी 25900 के करीबबांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का निधन, 80 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांसStocks To Watch Today: InterGlobe, BEL, Lupin समेत इन कंपनियों के शेयरों पर आज रहेगा फोकसYear Ender: भारत के ऊर्जा क्षेत्र के लिए 2025 चुनौतियों और उम्मीदों का मिला-जुला साल रहा

आरबीआई के दायरे में आया कमोडिटी सेक्टर

Last Updated- December 06, 2022 | 1:04 AM IST

बैंकों द्वारा जिंस क्षेत्र को दिए जाने वाले ऋणों पर अब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की निगाहें रहेंगी।


केंद्रीय बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति में यह फैसला किया है कि जिंस क्षेत्र को दिया जाने वाला ऋण रिजर्व बैंक की निगरानी समीक्षा के दायरे में रहेगा।रिजर्व बैंक ने बैंकों से यह भी कहा है कि वे चावल, गेहूं, तिलहन और दालों जैसे कृषि जिंसों के लिए व्यापारियों को दिए जाने वाले ऋण की समीक्षा करें।बैंकों को यह निर्देश दिया गया है कि कारोबारियों को ऋण मुहैया कराते समय सावधानी बरतें, ताकि बैंक की राशि का इस्तेमाल जमाखोरी के लिए न किया जाए।


गौरतलब है कि  बैंक खातों की पहली समीक्षा आगामी 15 मई तक पूरी कर ली जाएगी। इसके बाद इस की निगरानी समीक्षा के लिए रिजर्व बैंक के पास भेज दिया जाएगा।आरबीआई के गर्वनर वाई वी रेड्डी ने बताया, ‘हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि किसी भी गलत काम, खासतौर से जमाखोरी के लिए बैंक राशि का गलत इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। इसके अलावा बैंकिंग चैनल के जरिए आम लोगों को सेवाएं मुहैया कराई जाएगी।’


उल्लेखनीय है कि बैंक कमोडिटी फाइनैंशियल क्षेत्र में काफी सक्रिय है। बैंक वेयरहॉउस रिसीट फाइनैंसिंग के जरिए अग्रिम राशि मुहैया कराती है। इंडसइंड बैंक के एमडी और सीईओ रमेश सोबती ने बताया, ‘आरबीआई द्वारा उठाया गया कदम इस बात को आश्वस्त करने के लिए है कि जिंसों का भंडारण कहीं जमाखोरी में तब्दील न हो जाए।


बैंकों द्वारा कभी-कभी वेयरहॉउसिंग रिसीट फाइनैंसिंग के जरिए कारोबारियों को राशि मुहैया कराई जाती है। इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय बैंक उन राशि पर नजर रखना चाहती है, जो जमाखोरी को बढ़ावा देती है और जिसके परिणामस्वरूप जिंसों के मूल्यों पर बेतहाशा दबाव पड़ता है।’ सोबती ने यह भी बताया, ‘आरबीआई द्वारा समीक्षा का मुख्य उद्देश्य बैंकों के जरिए मुहैया कराई जाने वाली राशि पर नजर रखना है।’

First Published - May 1, 2008 | 11:22 PM IST

संबंधित पोस्ट