केंद्र सरकार परिवहन क्षेत्र के समस्त नियोजन को एकीकृत कर एक मंत्रालय के तहत लाना चाहती है। बिज़नेस स्टैंडर्ड को सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस पहल का मकसद परिवहन क्षेत्र के कई क्षेत्रों में आने वाली दिक्कतों को दूर करना है।
इस मामले के जानकार एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार, ‘मार्च में एक उच्च स्तरीय बैठक हुई थी। इसमें एक अंतर मंत्रालयी तंत्र स्थापित करने का विचार पेश किया गया था और इसमें परिवहन की योजना को अल्पावधि और दीर्घावधि स्तर पर एकीकृत करने पर जोर दिया गया था। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने इस मामले पर आगे बढ़ने के लिए कुछ मुद्दे तैयार किए थे।’
सरकार के पास बुनियादी ढांचे की योजना और क्रियान्वयन के लिए एक अंतर-मंत्रालयी परामर्श तंत्र है- जिसे प्रधानमंत्री गति-शक्ति ढांचा कहा जाता है। माना यह जा रहा है कि नया प्रारूप गति-शक्ति के साथ समन्वय के साथ काम करेगा लेकिन इसका कार्यक्षेत्र थोड़ा अलग हो सकता है। अन्य अधिकारी ने बताया, ‘गति-शक्ति मंच पहले से है लेकिन यातायात नियोजन के लिए अलग तंत्र की जरूरत महसूस की गई थी।
दरअसल गति-शक्ति मंच आधारभूत ढांचे की खाई को पाटने पर काम करता है जबकि नियोजन के लिए एक समग्र परिवहन निकाय यह देखेगा कि दीर्घावधि लक्ष्यों के मद्देजनर यातायात का सबसे उपयुक्त माध्यम क्या हो सकता है।’
सूत्रों ने बताया कि गति-शक्ति का प्राथमिक लक्ष्य दोहराव को दूर करना था और तेजी से कार्यों को आगे बढ़ाना था। गति-शक्ति के तहत आधारभूत ढांचे के सभी क्षेत्र हैं। लेकिन परिवहन नियोजन का एकीकृत ढांचा का माध्यम की आवश्यकताओं और रुझानों का बारीकी से मूल्यांकन करेगा। इस बारे में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को सवाल भेजे गए थे लेकिन खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं मिला था। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय इस योजना पर कार्य कर रहा है।