अर्थव्यवस्था

GST घटाने को लेकर केंद्र और राज्यों का साझा फैसला: CBIC चेयरमैन

GST 2.0: केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड के चेयरमैन संजय अग्रवाल ने कहा कि उद्योग जगत कर घटने का लाभ स्वतः ग्राहकों तक पहुंचाएगा।

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मोनिका यादव   
असित रंजन मिश्र   
Last Updated- September 05, 2025 | 9:42 AM IST

GST 2.0: वस्तु एवं सेवा कर व्यवस्था के नए ढांचे का व्यापक असर हुआ है। बदलावों और उनके असर सहित विभिन्न मसलों पर केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड के चेयरमैन संजय अग्रवाल ने मोनिका यादव और असित रंजन मिश्र से विस्तार से बातचीत की। उन्होंने उम्मीद जताई कि उद्योग जगत कर घटने का लाभ स्वतः ग्राहकों तक पहुंचाएगा। प्रमुख अंश…

22 सितंबर के बाद मुआवजा उपकर का क्या होगा?

कानूनी स्थिति ऐसी है कि मुआवजा उपकर का उपयोग 21 सितंबर तक किया जा सकता है। 22 सितंबर से कारों की बिक्री पर कोई मुआवजा उपकर नहीं होगा। क्रेडिट के उपयोग का भी कोई सवाल नहीं है क्योंकि कोई उपकर नहीं है। इस तरह से अगर मुआवजा उपकर पर कोई इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) उपलब्ध है, तो उसका उपयोग नहीं किया जा सकता है। वर्तमान में आईटीसी खाते में पड़ी शेष राशि को रिफंड करने या कोई ट्रीटमेंट देने का कोई प्रावधान नहीं है।

राजस्व हानि को लेकर राज्य चिंता जता रहे हैं। उन्हें मुआवजा नहीं मिलना चाहिए?

हम दोनों (केंद्र और राज्य) भागीदार के रूप में दर को कम करने का निर्णय लेते हैं। किसी ने भी दूसरे पर यह निर्णय नहीं थोपा है। यदि दोनों फैसला करते हैं कि हम दर को कम करें, तो नुकसान कहां है? यह एक राजस्व व्यवस्था लागू करने का मसला है। मैं अपना बोझ वहन करूंगा, आप अपना बोझ वहन करेंगे। केंद्र या राज्य, कोई भी नुकसान की वजह नहीं है। यदि आपको लगता है कि सामान्य उपयोग की वस्तुओं पर दरों को कम करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इससे मेरे राजस्व को नुकसान होगा, तो ऐसा कहिए। लेकिन किसी ने ऐसा नहीं कहा। यह सर्वसम्मति से लिया गया फैसला था।

राज्यों की अतिरिक्त लेवी की मांग के बारे में क्या विचार है?

जीएसटी परिषद की बैठक में हम केवल जीएसटी से संबंधित मामलों पर चर्चा करते हैं। हम पूरी अर्थव्यवस्था पर चर्चा नहीं कर सकते। जीएसटी परिषद की कार्यवाही गोपनीय है।

सेवाओं पर रिफंड की अनुमति नहीं है, ऐसे में कम जीएसटी का लाभ वास्तव में उपभोक्ताओं तक कितना पहुंचेगा?

उलटे शुल्क ढांचे में रिफंड केवल वस्तुओं पर मिलता है, सेवाओं पर नहीं। अगर सेवाओं पर उल्टा शुल्क ढांचा है, तो कोई रिफंड जारी नहीं किया जाता है। यह वस्तु से वस्तु, उद्योग से उद्योग पर निर्भर करता है। कुछ उद्योगों के प्रीमियम उत्पादों के विज्ञापन व्यय बहुत अधिक होगा, लेकिन कुछ वस्तुओं पर यह बहुत कम हो सकता है। इसलिए अलग-अलग वस्तु पर आईटीसी अलग होगा। प्रत्येक उत्पाद का अलग से अध्ययन करना होगा। हम यह नहीं कह सकते कि एक अनुपात हर चीज पर लागू होगा। ऐसे में उल्टा शुल्क ढांचा होगा या नहीं, यह कई कारकों पर निर्भर करेगा। सामग्री क्या हैं, उस वैल्यू चेन में उनका योगदान क्या है? क्या कई सेवाओं का उपयोग किया गया है, क्या सेवा उपयोग बहुत कम है? यह कई कारकों पर निर्भर करता है।

कैसे सुनिश्चित करेंगे कि जीएसटी का लाभ उद्योग से ग्राहकों तक पहुंचे?

मौजूदा कानून में कोई मुनाफाखोरी रोधी प्रावधान नहीं है। कुल मिलाकर उद्योग से उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाने की उम्मीद है। प्रत्येक उद्योग इसकी गणना खुद करेगा। हम प्रत्येक उद्योग से लागत के आंकड़े देने को नहीं कह रहे हैं। अगर ऐसा लगता है कि कोई खास उद्योग लाभ को ग्राहकों तक नहीं पहुंचा रहा है तो हम इस मसले को उद्योग संगठन तक ले जाएंगे। बाजार अर्थव्यवस्था द्वारा चीजों का संचालन हो रहा है और बाजार अर्थव्यवस्था इसका ध्यान रखती है कि लाभ आखिरकार ग्राहकों तक पहुंचे।

कौन सी वस्तुएं हैं जो 5 से 12 और 18 प्रतिशत कर ढांचे में चली गई हैं?

ऐसी दो वस्तुएं हैं जो 12 प्रतिशत से 18 प्रतिशत कर व्यवस्था में चली गई हैं। उदाहरण के लिए कुछ वर्क्स कॉन्ट्रैक्ट सेवाएं। 18 प्रतिशत से 40 प्रतिशत तक कुछ गैर-मादक पेय पदार्थ, कार्बोनेटेड पेय, कैफीनयुक्त पेय, एनर्जी ड्रिंक, गैर-मादक बीयर पहुंची हैं। इनमें से कई वस्तुओं पर 28 प्रतिशत और 12 प्रतिशत मुआवजा उपकर लगता था और कुल मिलाकर इन पर 40 प्रतिशत कर था। इस तरह से दरों पर असर नहीं पड़ा है।

First Published : September 5, 2025 | 9:42 AM IST