केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने बंबई उच्च न्यायालय से कहा है कि जीएसटी अपील न्यायाधिकरण (GSTAT) न होने की वजह से याची को आ रही दिक्कतों को देखते हुए उच्च न्यायालय से उपलब्ध समाधान पाने में व्यवधान डालने का उसका कोई इरादा नहीं है।
बोर्ड ने इस सिलसिले में न्यायालय में एक शपथपत्र दाखिल किया है। इसके पहले सरकारी वकील ने कहा था कि आयुक्त (अपील) द्वारा पारित आदेश को चुनौती देने वाली रिट याचिका स्वीकार नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) अधिनियम, 2017 के तहत पंचाट में समाधान पाने की सुविधा उपलब्ध है।
उल्लेखनीय है कि अधिनियम के तहत प्राधिकरण का प्रावधान किया गया है, लेकिन इसका गठन नहीं हुआ है। कंपनी को रिफंड करने के विवाद को लेकर रिट याचिका दाखिल की गई है। सीबीआईसी ने न्यायालय से कहा है कि इस सिलसिले में वह पहले की याचिका वापस लेगा।
याचिका उच्चतम न्यायालय के एक फैसले पर आधारित थी, जिसमें कहा गया था कि भले ही प्राधिकरण का गठन नहीं किया गया है, उच्च न्यायालय में याचिका पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए।
बहरहाल कंपनी के वकील ने कहा कि उच्चतम न्यायालय का फैसला ऐसी स्थिति में था, जब याची ने सीधे उच्च न्यायालय में अपील की थी।
जीएसटी व्यवस्था के तहत निर्णायक प्राधिकारी के आदेश के खिलाफ कमिश्नर (अपील) के समक्ष अपील दाखिल की जा सकती है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि सीबीआईसी के वकील यह बताने में अक्षम रहे कि याची के लिए क्या राहत उपलब्ध है।