अर्थव्यवस्था

EU की कार्बन नीति खारिज, दोगुना दंड चाहता है CBAM

भारत और EU के अधिकारियों ने CBAM को लेकर भारत की चिंता के समाधान के लिए शुरू की बातचीत

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा कि कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (सीबीएएम) लागू करके यूरोपियन यूनियन भारत को पर्यावरण के नाम पर उस समय दंड नहीं दे सकता है, जब दोनों अर्थव्यवस्थाएं अपने उद्योगों को कार्बन मुक्त करने की कोशिश कर रही हैं।

सीतारमण ने कहा, ‘आपका स्टील, जो हरित होना है और मेरा स्टील, जो हरित होना है, बदलाव के चरण से गुजर रहा है। हम दोनों हरित संपत्तियों पर निवेश कर रहे हैं। ऐसे में अगर आप हमें दो तरफ से दंडित करते हैं तो यह कैसे उचित होगा। सीबीएएम पर हमारी असहमति उन्हें साफ साफ बता दी गई है।’

सीबीएएम 1 अक्टूबर से बदलाव के चरण में प्रवेश कर रहा है। इस दौरान ईयू के आयातकों को कार्बन केंद्रित उत्पादों जैसे सीमेंट, उर्वरक, स्टील और एल्युमीनियम के आयात को लेकर एम्बेडेड उत्सर्जन की रिपोर्ट देनी पड़ेगी, हालांकि इसके लिए कोई वित्तीय समायोजन राशि का भुगतान नहीं करना होगा।

जनवरी 2026 से सीबीएएम को पूरी तरह से लागू किए जाने की योजना है। उसके बाद सीबीएएम में शामिल उत्पादों के आयात पर शुल्क का भुगतान करना होगा। ईयू के मुताबिक सीबीएएम कार्बन केंद्रित उत्पादों के उत्पादन के दौरान कार्बन उत्सर्जन की कीमत चुकाने का साधन है। इस शुल्क के माध्यम से वह गैर ईयू देशों में स्वच्छ औद्योगिक उत्पादन को बढ़ावा देना चाहता है।

सीतारमण ने कहा कि उन्होंने हाल में मुलाकात के दौरान यूरोप के सांसदों को सूचित कर दिया था कि ईयू मांग कर रहा है कि भारत अपने स्टील उत्पादन को हरित करने पर भी भुगतान करे और यह भारत के लिए सजा होगी क्योंकि कार्बन टैक्स के भुगतान के बाद उसके पास खुद को हरित बनाने के लिए कम धन बचेगा। उन्होंने कहा, ‘यह भारत से दूर भागना है।’

वित्त मंत्री ने कहा कि ईयू को भारत की चिंता को संज्ञान में लेने की जरूरत है और वे देश उदारता नहीं दिखा रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘खुद को हरा भरा करने के लिए वे दूसरे देशों को धोखा नहीं दे सकते, जैसे हमें दंडित करने की कवायद की जा रही है और उन्हें दंडित नहीं किया जा रहा है। इसलिए सैद्धांतिक रूप से यह अस्वीकार्य है कि अन्य देशों को खारिज कर दिया जाए।’

भारत और यूरोपियन यूनियन के शीर्ष अधिकारियों ने सीबीएएम को लेकर भारत की चिंता के समाधान के लिए बातचीत शुरू कर दी है। पिछले साल व्यापार और तकनीक परिषद के गठन के बाद भारत और ईयू विश्वसनीय सहयोगी के रूप में उभरे हैं और इस व्यापारिक समूह ने सीबीएएम लागू करने को लेकर आने वाली संभावित चुनौतियों पर भारत से बातचीत शुरू की है।

यह पूछे जाने पर कि क्या भारत कुछ छूट या अपने एमएसएमई के लिए कुछ बदलाव चाहता है, उन्होंने कहा, ‘सैद्धांतिक रूप से हमने सीबीएएम को खारिज कर दिया है और कहा है खुद को हरा भरा करने के लिए हमें सजा देना ठीक नहीं है।’

थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव के मुताबिक सीबीएएम से भारत के धातु उद्योग के सामने बहुत ज्यादा चुनौतियां आने की संभावना है। 2022 में भारत के लौह, स्टील और एल्युमीनियम निर्यात का 27 प्रतिशत ईयू को भेजा गया है, जिसकी कीमत 8.2 अरब डॉलर थी।

First Published : September 17, 2023 | 10:10 PM IST