कोविड-19 के मामलों में सुधार की खबरों के बीच अर्थव्यवस्था के फिर से पटरी पर आने के संकेत मिल रहे हैं। बिजली उत्पादन में अंतर पिछले सप्ताह की तुलना में कम था और लोगों की आने-जाने की रफ्तार भी बढ़ रही थी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब रोजाना दो लाख कोविड-19 मामले दर्ज किए जा रहे हैं जबकि महीने की शुरुआत में चार लाख से ज्यादा मामले सामने आ रहे थे। सर्च इंजन गूगल के मोबिलिटी डेटा के मुताबिक कार्यस्थलों पर जाने वालों की तादाद 53.6 फीसदी है जो महामारी से पहले के दौर की तादाद के करीब ही है। यह अनाम लोकेशन डेटा का इस्तेमाल करता है ताकि यह अंदाजा मिल सके कि लोग महामारी के दौरान कैसे आगे बढ़ रहे हैं। यह महीने में महामारी के पहले के स्तर का करीब 48.6 फीसदी था। अन्य जगहों की यात्रा में भी कुछ सुधार दिखाई दे रहा है।
वैश्विक लोकेशन तकनीकी कंपनी टॉमटॉम इंटरनैशनल के मुताबिक मुंबई और नई दिल्ली दोनों जगहों में यातायात में गिरावट अब कम हो गई है। हालांकि आंकड़े कोविड-19 के समय की तुलना में अब भी काफी कम हैं लेकिन इससे पहले हफ्ते की तुलना में दोनों शहरों में सुधार हुआ है और स्थिति सामान्य स्तर पर वापस आ रही है। देश में इस वक्त बिजली उत्पादन की मात्रा 2019 की तुलना में कम है। लेकिन पहले के मुकाबले बिजली उत्पादन के अंतर का दायरा कम हुआ है। साल 2020 में राष्ट्रीय स्तर के लॉकडाउन के दौरान बिजली उत्पादन पर असर पड़ा था क्योंकि कई कारखाने और दफ्तर पूरी तरह बंद हो गए थे। कोविड की ताजा लहर के दौरान भी कुछ जगहों पर लॉकडाउन की घोषणा की गई जिसकी वजह से भी बिजली उत्पादन में गिरावट आई। हालांकि अब फिर से इसमें सुधार दिखने लगा है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन का जायजा लेता है। यह औद्योगिक गतिविधियों और वाहनों से आता है। दिल्ली का उत्सर्जन 2019 में हुए उत्सर्जन का आधा है। बांद्रा इलाके के आंकड़ों के आधार पर देखा जाए तो मुंबई में उत्सर्जन बढ़ गया है। भारतीय रेल की गतिविधियां पिछले साल देशव्यापी लॉकडाउन के कारण बंद हो गईं। पिछले साल के कम आधार को देखते हुए इस साल के आंकड़े बेहतर दिखाई देते हैं। हालांकि पिछले हफ्ते की तुलना में माल-ढुलाई वाली वस्तुओं की मात्रा में वृद्धि कम है। इसी वजह से माल ढुलाई से होने वाली रेलवे की कमाई की रकम भी कम है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड अर्थव्यवस्था के वृहद आधिकारिक आर्थिक आंकड़ों के जारी होने से पहले इन साप्ताहिक आर्थिक संकेतकों का जायजा लेता है। सरकारी आंकड़े अक्सर एक अंतराल के साथ जारी होते हैं। वैश्विक स्तर पर विश्लेषक जमीनी स्तर पर तेजी से बदलते हालात का जायजा लेने के लिए समान तरह के संकेतकों का जायजा ले रहे हैं क्योंकि कोविड-19 पर नियंत्रण करने के लिए विभिन्न देशों में लॉकडाउन लगाया गया था। गूगल के आंकड़े एक अंतराल के साथ जारी होते हैं। ताजा आंकड़े 26 मई के हैं और बाकी रविवार 30 मई तक के हैं।