केंद्र सरकार द्वारा पूंजीगत खर्च चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में कमजोरी के बाद मौजूदा दिसंबर तिमाही में सुधार दर्ज करने में सफल रहा। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की वजह से चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में खर्च में सुस्ती दर्ज की गई।
समीक्षा में कहा गया है, ‘वित्तीय मोर्चे पर, पूंजीगत खर्च वर्ष 2020-21 की जून तिमाही और सितंबर तिमाही के दौरान सुस्त बना हुआ था, क्योंकि कंटेनमेंट जोन में आवाजाही प्रतिबंधित थी और पूंजीगत कार्य के लिए ठेकेदारों/की उपलब्धता नहीं थी। हालांकि आवाजाही आसान होने और स्वास्थ्य संबंधित प्रतिबंधों में नरमी के साथ पूंजीगत खर्च 2020-21 की तीसरी तिमाही में बढ़ गया था।’
समीक्षा में कहा गया है कि वर्ष 2021-22 के दौरान अब तक घोषित राहत उपायों में तरलता में वृद्घि और निवेश को बढ़ावा देने जैसी प्रयास शामिल थे। इनमें उत्पादन केंद्रित प्रोत्साहन योजना, ऋण गारंटी योजना और निर्यात वृद्घि पहलों से पूंजीगत खर्च बढ़ाने में मदद मिली।
समीक्षा में कहा गया है कि पिछले साल का बजट न सिर्फ पूंजीगत खर्च वृद्घि अनुमान बढ़ाने वाला था बल्कि इससे ज्यादा उत्पादक पूंजीगत खर्च को भी बढ़ावा मिला। समीक्षा में कहा गया है, ‘अप्रैल-नवंबर 2021 के दौरान, पूंजीगत खर्च सालाना आधार पर 13.5 प्रतिशत तक बढ़ा और इसमें सड़क तथा राजमार्ग, रेलवे तथा आवास एवं शहरी विकास जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया।’ रिपोर्ट में कहा गया कि यह वृद्घि खासकर पूर्ववर्ती वर्ष की समान अवधि के दौरान भी दर्ज पूंजीगत खर्च में वृद्घि को देखते हुए अच्छी-खासी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अलावा, केंद्र ने भी राज्यों के जरिये पूंजीगत खर्च बढ़ाने के कई उपाय किए हैं। सरकार ने 2020-21 बीई (बजट अनुमान) के दौरान पूंजीगत खर्च में 34.5 प्रतिशत की वृद्घि का अनुमान जताया, जिसमें नैशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन पर निरंतर ध्यान दिए जाने के साथ साथ राजमार्गों, सड़क, शहरी परिवहन, बिजली, दूरसंचार, टेक्सटाइल और किफायती आवास पर जोर दिया गया। 6,835 परियोजनाएं कवर कर रहे नैशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन का विस्तार बजट 2021-22 में 7,400 परियोजनाओं तक किया गया था।
अक्षय ऊर्जा, भारी उद्योग, कृषि, वाहन और टेक्सटाइल जैसे विभिन्न क्षेत्रों में घरेलू निर्माण संभावनाओं का लाभ उठाने के प्रयास में बजट 2021-22 में 13 क्षेत्रों के लिए 5 साल की अवधि (2021-22 से) के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपये की लागत के साथ पीएलआई योजनाएं शुरू की गईं।
