साल 2023 की शुरुआत के 3 सप्ताह में रुपये में उल्लेखनीय मजबूती के बाद अमेरिका में ब्याज दर की अनिश्चितता और अदाणी समूह के संकट के कारण सभी लाभ खत्म हो गए और घरेलू मुद्रा की धारणा खराब हो गई।
बहरहाल विश्लेषकों को उम्मीद है कि रुपये की जमीन मजबूत होगी और चालू वित्त वर्ष के अंत तक यह मौजूदा स्तर से मजबूत होगा। बिज़नेस स्टैंडर्ड पोल में शामिल 10 लोगों ने कहा कि मार्च के अंत तक रुपया 82.25 पर पहुंच जाएगा, जो सोमवार के 82.73 की तुलना में मजबूत स्थिति होगी।
बहरहाल अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में रुपया मौजूदा स्थिति से थोड़ा कमजोर हो सकता है, क्योंकि फेडरल रिजर्व की दरों में बढ़ोतरी जारी है। साथ ही वैश्विक वृद्धि में संभावित मंदी के कारण डॉलर में मजबूती आ रही है।
पोल से पता चलता है कि जून के अंत तक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 82.90 पर देखा गया। डॉलर के मुकाबले रुपये का रिकॉर्ड निचला स्तर 83.29 है।
2022 में डॉलर के मुकाबले रुपया 82.74 पर रहा और इसमें 10 प्रतिशत की गिरावट आई। 2023 के पहले 3 सप्ताह के दौरान डॉलर के मुकाबले घरेलू मुद्रा में उल्लेखनीय मजबूती आई, क्योंकि अमेरिका की दरों में बढ़ोतरी के चक्र के कारण महंगाई कम हुई है। रुपये में 20 जनवरी तक 2 प्रतिशत की मजबूती आई और यह 81.13 डॉलर पर बंद हुआ।
बहरहाल इसके बाद घरेलू मुद्रा की स्थिति पलट गई। अमेरिका के नौकरियों के अप्रत्याशित आंकड़ों से इस बात की आशंका पैदा हो गई कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक लंबे समय तक उच्च दरों को बनाए रखेगा। इसके अलावा 24 जनवरी को हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अदाणी समूह पर आरोपों के बाद कंपनी के शेयरों में मंदी से भी रुपये को नुकसान पहुंचा, क्योंकि विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बेच दिए।
बहरहाल अगले 2 महीनों के दौरान स्थानीय मुद्रा की मौसमी मांग के कारण रुपये को लाभ हो सकता है क्योंकि वित्त वर्ष के अंत में कॉर्पोरेट अपने खाते बंद करते हैं।
आईएफए ग्लोबल के संस्थापक अभिषेक गोयनका ने कहा, ‘हम महसूस करते हैं कि रुपये का प्रदर्शन कमजोर रहा है। हमें लगता है कि अब अमेरिका में ब्याज दरें शीर्ष पर पहुंच रही हैं। हमने हाल में अमेरिका में नौकरियों के आंकड़े देखे, जिससे तेजी आई, लेकिन व्यापक रूप से देखें तो डॉलर कमजोर होने जा रहा है।’
उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि अदाणी मसले के बाद रुपये में कोई बदलाव आएगा। निश्चित रूप से कुछ झटके लगे हैं और हमने इसका असर इक्विटी पर देखा है। लेकिन बुनियादी रूप से स्थिति भारत के पक्ष में है। बाजार अपने पहले के उच्च स्तर पर संभवतः नहीं पहुंच सकता और कुछ का अधिभार घट सकता है, लेकिन स्थिरता आएगी।’
कुछ विश्लेषकों ने यह भी कहा कि अगले वित्त वर्ष में चालू खाते का घाटा कम रह सकता है और वैश्विक आर्थिक कमजोरी के बीच घरेलू तेजी की स्थिति रुपये के पक्ष में रहेगी। अगले वित्त वर्ष के लिए रिजर्व बैंक ने 6.4 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया है, जबकि आईएमएफ ने 2023 में 2.9 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया है।
बैंक आफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘मुझे लगता है कि चालू खाते का घाटा कम रहने के कारण भुगतान संतुलन में कुल मिलाकर सुधार हो रहा है और वैश्विक जिंसों के दाम स्थिर हैं। दूसरे मैं यह उम्मीद कर रहा हूं कि सॉफ्टवेयर से प्राप्तियों में सुधार होगा। और तीसरे, एफपीआई के थोड़ा और सकारात्मक होने की उम्मीद है।’
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरें बढ़ा दी हैं, जिससे अंतर घट रहा है। अमेरिका और भारत के ब्याज दरों में स्प्रेड कम होने से विदेशी निवेशकों द्वारा स्थानीय संपत्तियों की खरीद कम आकर्षक रह गई है।
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक में अर्थशास्त्री गौरा सेनगुप्ता ने कहा, ‘रुपये में गिरावट का दबाव भारत और अमेरिका के बीच नीतिगत दरों में अंतर ऐतिहासिक रूप से कम होने की वजह से कम रहेगा। वित्त वर्ष 24 में चालू खाते का घाटा कम रहने की संभावना है। बहरहाल यह सुधार सीमित रहने की उम्मीद है।’