इस आशंका का समाधान करते हुए कि फेसलेस आकलन प्रक्रिया में समझ में अंतर होने या अनुपयुक्त परिवर्धन के कारण कर अधिकारियों की ओर से मांग में अनौपचारिक वृद्घि हो सकती है, आयकर विभाग ने इसके लिए अंतर्निहित सुरक्षा तंत्र तैयार किया है। फेसलेस आकलन प्रक्रिया में 5 लाख रुपये से अधिक के मामले में कर अधिकारी द्वारा मांग में किसी तरह की अतिरिक्त वृद्घि को कठोर समीक्षा प्रक्रिया से गुजरना होगा जिसके बाद ही अंतिम मांग आदेश पारित किया जा सकेगा।
विभाग ने 31 मार्च, 2021 तक 2 लाख के आसपास फेसलेस आकलन करने की उम्मीद जताई थी, अंतर्निहित नियंत्रण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी एकतरफा या एकपक्षीय आकलन को बिना जांच किए छोडऩा नहीं है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘उच्च रकम वाले आकलनों के लिए उपयुक्त सुरक्षा उपाय किए गए हैं। हमने परिवर्धन के लिए 5 लाख रुपये आय की सीमा रखी है। यदि 5 लाख रुपये से अधिक का परिवर्धन होता है तो यह स्वत: जोखिम प्रबंधन प्रणाली में चली जाएगी जिसे उठाकर किसी दूसरे शहर में समीक्षा इकाई के पास भेज दिया जाएगा।’ समीक्षा इकाई इसकी जांच करेगी कि क्या किया गया परिवर्धन या लगाया गया कर वास्तविक है या नहीं या परिवर्धन नहीं किया गया है। अधिकारी ने स्पष्ट करते हुए कहा, ‘समीक्षा इकाई में अधिकारी और उसके वरिष्ठ अधिकारी इसकी जांच करेंगे कि सुझाव ठीक है या नहीं। किसी तरह का बदलाव नहीं होने की स्थिति में अंतिम आदेश पारित करने के लिए आदेश राष्ट्रीय ई-आकलन केंद्र में चला जाएगा। उसमें और अधिक परिवर्धन या विलोपन करने के मामले में मामला स्वत: किसी तीसरे शहर में फेसलेस आकलन इकाई में चला जाएगा।’ उन्होंने कहा कि एकपक्षीय आकलनों को रोकने के लिए विभाग ने पर्याप्त सुरक्षा उपाय किए हैं। आयकर अधिनियम की धारा 144 के तहत मूल्यांकन अधिकारी रिटर्न दाखिल नहीं करने वाले व्यक्ति या सहयोग नहीं करने वाले व्यक्ति को नोटिस देकर एकपक्षीय या एकतरफा मूल्यांकन कर सकता है। उदाहरण के लिए, किसी व्यक्ति ने 50 लाख रुपये की संपत्ति खरीदी है लेकिन रिटर्न दाखिल नहीं किया है और न ही संतोषजनक स्पष्टीकरण दिया है तो मूल्यांकन अधिकारी यह मानकर चल सकता है कि उसकी 5 लाख रुपये की पूरी रकम कर योग्य है और मांग के लिए नोटिस जारी सकता है।
प्रतिपुष्टि के आधार पर समय से विभाग 5 लाख रुपये की आरंभिक सीमा की समीक्षा करेगा। एक महीने पहले फेसलेस आकलन तंत्र को शुरू किया गया था। अधिकारी ने कहा, ‘ऌप्रतिपुष्टि के बाद हम इस पर विचार करेंगे। हालांकि, 5 लाख रुपये बहुत ही कम आय सीमा है क्योंकि इसका मतलब है कि कर केवल 1 से 1.5 लाख रुपये के आसपास होगा। चूंकि हमें इसके बारे में कोई अनुभव नहीं है इसलिए हमने इतनी राशि की शुरुआती सीमा तय की है।’
सीबीडीटी ने 2018 में देश में कर अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी करते हुए कहा था कि करदाताओं के विरुद्घ मोटी रकम वाले आकलनों में कमी लाएं और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि इस तरह के अतार्किक आदेश देने वाले आकलन अधिकारी का स्थानांतरण किया जाए और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
नांगिया ऐंड कंपनी एलएलपी में पार्टनर शैलेश कुमार ने कहा कि समीक्षा इकाई के पास आकलन को भेजने के लिए आयकर विभाग की ओर से निर्धारित शर्तों में यह शामिल करना कि परिवर्धन यदि मौद्रिक सीमा के पार पहुंच जाए तो ऐसा किया जाएगा, एक स्वागत योग्य कदम है। उन्होंने कहा, ‘यह निर्णय अंतिम आकलन आदेश में किसी तरह के उच्च आकलन करने से पहले कर अधिकारियों के लिए स्व अनुशासनात्मक नियंत्रण की तरह कार्य करेगा। समीक्षा प्रक्रिया से यह भी सुनिश्चित होगा कि प्रथम आकलन इकाई की ओर से पारित मूल्यांकन आदेश पर प्रत्यक्ष गलती को आकलन आदेश जारी करने से पहले ठीक कर लिया गया है।’ हालांकि, एकेएम ग्लोबल में पार्टनर अमित माहेश्वरी का कहना है कि इससे मदद मिल नहीं सकती है। माहेश्वरी ने कहा, ‘भले ही विभाग ने इसके लिए सीमा तय कर दी है लेकिन अंतत: इसकी समीक्षा कर विभाग की एक टीम ही करेगी। पहले के अनुभव को देखते हुए जब यह समीक्षा के लिए जाएगा तो इसमें कोई बड़ी राहत की उम्मीद करना बहुत मुश्किल है।’ प्रधानमंत्री ने 13 अगस्त को फेसलेस आकलन योजना का शुभारंभ किया था।
