सरकार ने समुद्री क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले फिश लिपिड ऑयल, क्रिल मील और एल्गल प्राइम जैसे कई कच्चे माल पर आयात शुल्क घटाया है। इस फैसले का मकसद घरेलू उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देना है।
जलीय चारा बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाले फिश लिपिड तेल और अल्गल प्राइम (आटा) पर शुल्क को 30 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी कर दिया गया है। इसी तरह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को पेश आम बजट में जलीय चारा बनाने में इस्तेमाल होने वाले फिश मील और क्रिल मील पर भी शुल्क को 15 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी कर दिया।
बजट दस्तावेजों के मुताबिक, जलीय चारे में इस्तेमाल होने वाले मिनरल और विटामिन प्रीमिक्स पर शुल्क को 15 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी कर दिया गया है। झींगा का स्थानीय उत्पादन बढ़ाने के लिए मत्स्य आहार पर मूल सीमा शुल्क को भी 15 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी कर दिया गया है।
मछलियों के चूरे से बनने वाले फिश मील में काफी अधिक प्रोटीन होता है। इसके अलावा यह कैल्शियम, फास्फोरस और अन्य खनिजों का अच्छा स्रोत है। समुद्री उद्योग बड़े पैमाने पर फिश मील का इस्तेमाल करता है।
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अप्रैल-नवंबर, 2022 के दौरान फिश लिपिड ऑयल का आयात 71.3 लाख डॉलर था। यह मुख्य रूप से चीन, जापान और अमेरिका से आयात किया जाता है। निर्यातक संगठन ‘फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन’ (फिओ) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि शुल्क में कमी से समुद्री निर्यात को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि इससे उत्पादन लागत में पांच फीसदी की कमी आने की उम्मीद है।