वित्त मंत्रालय ने सोमवार को विभिन्न हिस्सेदारों के साथ नवें दौर की बजट पूर्व चर्चा पूरी कर ली है। मंत्रालय को खपत बढ़ाने, रोजगार बढ़ाने, व्यक्तिगत से लेकर एमएसएमई तक को कर छूट और कई तरह के सुधार के सुझाव मिले हैं।
वित्त वर्ष 2025-26 का केंद्रीय बजट महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि दूसरी तिमाही में वृद्धि दर उम्मीद से कम रहने के साथ भूराजनीतिक अस्थिरता है। अर्थशास्त्रियों, उद्यमियों, कारोबारियों और किसानों सहित विभिन्न हिस्सेदारों ने आगामी बजट में निवेश, महंगाई दर, बुनियादी ढांचा के साथ विभिन्न क्षेत्रों में कारोबार सुगमता को लेकर सुझाव दिए हैं।
वृद्धि एवं रोजगार को बढ़ावा देने के लिए अर्थशास्त्रियों ने विनिर्माण नीति बनाने की अपील की है। साथ ही उन्होंने वित्त वर्ष 2026 के बजट में खाद्य महंगाई पर काबू पाने के लिए आपूर्ति संबंधी कदम उठाने और स्थानीय स्तर पर कोल्ड चेन बनाने के सुझाव दिए हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों के साथ बजट पूर्व परामर्श में विभिन्न क्षेत्रों के 100 से ज्यादा विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।
उद्योगपतियों और अर्थशास्त्रियों ने मांग में तेजी लाने और लोगों की क्रय शक्ति बढाने के लिए पूंजीगत व्यय बढ़ाने और कर छूट दिए जाने का सुझाव दिया है। हिस्सेदारों के समूह और अलग से की गई चर्चा में कौशल विकास संबंधी सुधार की पहल के तहत जिला स्तर पर विश्वविद्यालय बनाने और एमएसएमई के लिए एकीकृत टाउनशिप बनाने का सुझाव दिया गया है।
उदाहरण के लिए भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने 20 लाख रुपये तक की व्यक्तिगत कमाई पर कर छूट दिए जाने और पेट्रोल व डीजल पर उत्पाद शुल्क घटाने का अनुरोध किया है, जिससे ग्राहकों व कारोबारियों पर बोझ कम हो सके।
ट्रेड सेक्टर के साथ वित्त मंत्रालय की चर्चा भी अहम है, क्योंकि डॉनल्ड ट्रंप अमेरिका में पदभार संभाल रहे हैं। निर्यातकों ने वित्त मंत्रालय से अनुरोध किया है कि 750 करोड़ रुपये की अमेरिका केंद्रित विपणन योजना लाई जाए, जिससे अगले 3 साल में करीब 25 अरब डॉलर का अतिरिक्त निर्यात किया जा सके।
निर्यातकों ने निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं- ब्याज इक्वलाइजेशन को जारी रखने का अनुरोध किया है, जो 31 दिसंबर को खत्म हो गई है। साथ ही उन्होंने कुछ निर्यात वस्तुओं के लिए मार्केटिंग व ट्रेड प्रमोशन के लिए अतिरिक्त फंड, एमएसएमई विनिर्माण इकाइयों के लिए कर राहत सहित अन्य मांगें रखी हैं।
किसानों व कृषि क्षेत्र के हिस्सेदारों ने वित्त मंत्रालय से पीएम किसान सम्मान निधि के तहत आय समर्थन दोगुना कर 12,000 रुपये किए जाने और इनपुट सामग्री की लागत घटाने का अनुरोध किया है।
वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में कृषि और सेवा क्षेत्र वृद्धि के प्रमुख चालक बनकर उभरे हैं। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि सतत कृषि उत्पादन से इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में वृद्धि को बल मिलेगा।
कुछ कृषि प्रमुखों ने कृषि इनपुट जैसे बीज, खाद और कीटनाशक पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) खत्म किए जाने की मांग की है।
वित्तीय क्षेत्र व पूंजी बाजार के प्रतिनिधियों ने गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) का वित्तीय बोझ कम करने और कई सुधारों की मांग की है।