वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में आज जब अंतरिम बजट पेश करने खड़ी हुईं तो बड़ा सवाल यह था कि उनका जोर सरकारी खजाने को पिछले कुछ सालों में मिली मजबूती को और पुख्ता करने पर होगा या कुछ ही महीने में होने वाले आम चुनावों के कारण वह लोकलुभावन वादों के लिए अपनी झोली खोल देंगी।
बजट भाषण जैसे-जैसे आगे बढ़ता गया वैसे-वैसे साफ होता गया कि सरकार अपनी राह से डिगने वाली नहीं है। 2023-24 में खर्च कम रहेगा और 2024-25 के लिए बजट में कोई भी बड़ा वादा नहीं किया गया। माना जा रहा था कि इस बार मिले उम्मीद से ज्यादा राजस्व का इस्तेमाल करते हुए वित्त मंत्री ठीकठाक खर्च करेंगी मगर ऐसा भी नहीं हुआ क्योंकि अगले वित्त वर्ष में उधारी कम करने का अनुमान लगाया गया है।
सीतारमण राजकोषीय घाटा कम करने के अपने पुराने संकल्प पर डटी रहीं, जिसके मुताबिक 2025-26 तक यह घाटा कम करके सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.5 फीसदी से नीचे लाना है। अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 5.1 फीसदी के बराबर रहने का अनुमान बजट में लगाया गया।
चालू वित्त वर्ष में यह जीडीपी के 5.8 फीसदी के बराबर रहने की संभावना है, इसलिए अगले वित्त वर्ष में इसका आंकड़ा 5.1 फीसदी रहने से 2025-26 में 4.5 फीसदी घाटे की आधी से ज्यादा राह तय हो जाएगी।
चालू वित्त वर्ष में घाटा अगर जीडीपी का 5.8 फीसदी रहा तो यह छोटी उपलब्धि नहीं होगी। यह पिछले साल के बजट में दिए गए 5.9 फीसदी के अनुमान से कम है और उस समय है, जब बकौल वित्त मंत्री नॉमिनल जीडीपी का लक्ष्य अनुमानों से कम रहा। अगले वित्त वर्ष में नॉमिनल जीडीपी 10.5 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया गया है।
घाटे में कमी कर से इतर राजस्व के कारण भी आई, जो बजट अनुमान से 74,000 करोड़ रुपये ज्यादा रहा। इस मद में 25 फीसदी इजाफा भारतीय रिजर्व बैंक और सरकारी बैंकों से मिले मोटे लाभांश के कारण हुआ। दूसरी ओर केंद्र को कर राजस्व से शुद्ध आय बजट में लगाए गए अनुमान से कुछ कम रही।
बजट दस्तावेज के मुताबिक केंद्र के खाते से राज्य सरकारों को 7,000 करोड़ रुपये ज्यादा भेजे जाने के कारण ऐसा हुआ। चालू वित्त वर्ष में कुल व्यय भी बजट अनुमानों के मुकाबले उतना ही कम रहा, जितनी कमी शुद्ध कर राजस्व में रही।
ज्यादातर कमी पूंजीगत व्यय में रही। 2023-24 में पूंजीगत व्यय पिछले साल बजट में लगाए गए अनुमान से केवल 5 फीसदी कम रहेगा। इसकी सबसे बड़ी वजह तेल मार्केटिंग कंपनियां रहीं, जिन्हें बुनियादी ढांचा नया बनाने के लिए 30,000 करोड़ रुपये नहीं दिए गए। यह रकम उन्हें अगले वित्त वर्ष में दी जाएगी और आधा यानी केवल 15,000 करोड़ रुपये दिए जाएंगे।
इसके बाद भी बुनियादी ढांचे पर जमकर खर्च होता रहेगा और 2024-25 में इस पर पिछले बजट के मुकाबले 17 फीसदी ज्यादा व्यय किया जाएगा। इसका कुछ हिस्सा रेलवे को अपग्रेड करने पर भी खर्च होगा, जिसमें वंदे भारत के स्तर के कोच लाना और नए मालढुलाई गलियारे बनाना है। रेलवे को दो साल पहले के मुकाबले करीब 60 फीसदी ज्यादा रकम मिल रही है।
वित्त मंत्री ने अगले साल के लिए राजस्व का अनुमान सामान्य ही रखा है और केवल 12 फीसदी इजाफे की उम्मीद जताई है। लेकिन उधारी में भी 50,000 करोड़ रुपये की कमी आएगी क्योंकि जीएसटी मुआवजे के लिए रखी रकम का इस्तेमाल किया जाएगा। बाजारों के लिए यह राहत की बात होगी। मगर कर के मोर्चे पर सीतारमण मुट्ठी खोलने को तैयार नहीं रहीं और कुछ कर लाभ योजनाओं को आगे बढ़ाने की घोषणा करके चुप हो गईं।
अंतरिम बजट में बाजार के लिए उछलने की कोई वजह नहीं थी, इसलिए बुनियादी ढांचा शेयरों की गिरावट से सेंसेक्स और निफ्टी मामूली लुढ़क गए। मगर उधारी और घाटे के लक्ष्य कम होने के कारण बॉन्ड बाजार झूम पड़ा और 10 साल के सरकारी बॉन्ड की यील्ड 11 आधार अंक नीचे आ गई।