भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की 6 सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति रीपो दर में 25 आधार अंक की और कटौती कर उसे 5.75 फीसदी कर सकती है। बिज़नेस स्टैंडर्ड के सर्वेक्षण में शामिल 10 में से 9 प्रतिभागियों ने रीपो में 25 आधार अंक की कटौती की उम्मीद जताई। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को तो उम्मीद है कि जून की बैठक में रीपो दर में 50 आधार अंक की कमी की जा सकती है। मौद्रिक नीति समिति की इस हफ्ते बैठक होगी और निर्णय की घोषणा शुक्रवार को होगी।
सर्वेक्षण में शामिल सभी 10 प्रतिभागियों ने कहा कि आरबीआई वित्त वर्ष 2026 के लिए हेडलाइन यानी समग्र मुद्रास्फीति अनुमान को 4 फीसदी से कम कर सकता है। अप्रैल की बैठक में इसके 4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था। अप्रैल की बैठक में भी आरबीआई ने रीपो दर में 25 आधार अंक की कटौती की थी और इससे पहले फरवरी में भी रीपो दर 25 आधार अंक घटाई गई थी। अप्रैल में आरबीआई ने मौद्रिक नीति का रुख बदलकर समायोजन वाला यानी उदार कर दिया था जिससे संकेत मिलता है कि केंद्रीय बैंक का ध्यान वृद्धि को सहारा देने पर है।
प्रतिभागियों ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति के 4 फीसदी से नीचे बने रहने का अनुमान है। ऐसे में मौद्रिक नीति समिति उदार रुख को बरकरार रखेगी। वित्त वर्ष 2026 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति का अनुमान 3 से 3.5 फीसदी के दायरे में रह सकता है।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘चालू वित्त वर्ष में व्यापक तौर पर खुदरा मुद्रास्फीति के 4 फीसदी से नीचे रहने का अनुमान है इसलिए मौद्रिक नीति में नरमी जारी रहने की संभावना है। इस हफ्ते रीपो दर में 25 आधार अंक की कटौती हो सकती है और बाकी बचे महीनों में दो दफा और कटौती की उम्मीद है जिससे कुल मिलाकर वर्ष अंत तक रीपो दर घटकर 5.25 फीसदी रह जाएगी।’
सब्जियों और दालों के दाम घटने से खुदरा मुद्रास्फीति में नरमी का रुख बना हुआ है और अप्रैल में यह जुलाई 2019 के बाद सबसे कम रही। खाद्य मुद्रास्फीति भी घटकर अप्रैल में 1.78 फीसदी रह गई जो मार्च में 2.69 फीसदी थी।
सभी प्रतिभागियों को उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान घटाया जा सकता है। प्रतिभागियों ने कहा कि कि मॉनसून की अनिश्चितता को देखते हुए आरबीआई अपने मुद्रास्फीति अनुमान में थोड़ा बफर बनाए रख सकता है।
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेन गुप्ता ने कहा, ‘खाद्य पदार्थों के दाम में नरमी को देखते हुए खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को कम किया जा सकता है।’ उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2026 के लिए मुद्रास्फीति अनुमान को 4 फीसदी से घटाकर 3.8 फीसदी किया जा सकता है।
प्रतिभागियों को उम्मीद है कि आरबीआई अमेरिकी शुल्क के संभावित प्रभाव को ध्यान में रखते हुए वित्त वर्ष 2026 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के वृद्धि अनुमान को 6.5 फीसदी पर बनाए रखेगा। वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर सुधरकर 7.4 फीसदी रही और पूरे वित्त वर्ष में वृद्धि दर 6.5 फीसदी रही।