बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश सर्वाधिक गरीब राज्य

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 11:16 PM IST

बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश देश के सर्वाधिक गरीब राज्य हैं। नीति आयोग की बहु-आयामी गरीबी सूचकांक (मल्टीडायमेंशनल पोअर्टी इंडेक्स या एमपीआई) में यह तथ्य सामने आया है। इस सूचकांक के अनुसार बिहार में 51.91 प्रतिशत आबादी गरीब है, वहीं झारखंड में यह आंकड़ा 42.16 प्रतिशत है। उत्तर प्रदेश में 37.79 प्रतिशत जनसंख्या गरीब है। इस सूचकांक में मध्य प्रदेश (36.65 प्रतिशत) चौथे और मेघालय (32.67 प्रतिशत) पांचवे स्थान पर हैं।
केरल (0.71 प्रतिशत), गोवा (3.76 प्रतिशत), सिक्किम (3.82), तमिलनाडु (4.89 प्रतिशत) और पंजाब (5.59 प्रतिशत) में गरीबी सबसे कम हैं। नीति आयोग की इस रिपोर्ट के अनुसार भारत का राष्ट्रीय एमपीआई मानक गरीबी का आकलन करने के लिए ऑक्सफर्ड पॉवर्टी ऐंड ह्यूमेन डेवलपमेंट इनिशिएटिव (ओपीएचआई) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की वैश्विक स्तर पर स्वीकृत एवं स्थापित विधि का इस्तेमाल करता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बहु-आयाम गरीबी का आकलन करने के लिए सूचकांक परिवारों की आर्थिक हालत और अभाव की स्थिति को आंकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के एमपीआई में तीन समान भारांश वाले पहलू- स्वास्थ्य, शिक्षा एवं रहन का स्तर- हैं। ये तीनों पहलुओं पर 12 संकेतकों पोषण, शिशु एवं किशोर मृत्यु दर, गर्भावस्था के दौरान देखभाल, स्कूल में शिक्षा की अवधि, स्कूल में उपस्थिति, रसोई ईंधन, स्वच्छता, पेय जल, बिजली, आवास, परिसपंत्ति एवं बैंक खाते को ध्यान में रखकर विचार किया जात है।
दुनिया के 193 देशों ने वर्ष 2015 में सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजी) ढांचा स्वीकार किया था। एसडीजी में दुनिया भर में विकास नीतियों, सरकारी प्राथमिकताओं और पूरी दुनिया में प्रगति का आकलन करने वाले बिंदु पनुर्परिभाषित किए गए हैं। एसडीजी ढांचे में 17 वैश्विक उद्देश्य एवं 169 लक्ष्य हैं और पूर्व के मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स (एमडीजी) की तुलना में इसका दायरा बड़ा है।
इस रिपोर्ट के प्राक्कथन में नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा है, ‘राष्ट्रीय बहु-आयामी गरीबी सूचकांक का विकास भारत में एक सार्वजनिक नीति माध्यम की स्थापना में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है।

First Published : November 26, 2021 | 11:21 PM IST