वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को अपनी परिचालन दक्षता तथा ग्राहक अनुभव बेहतर बनाने के लिए संसाधन साझा करने और अकाउंट एग्रीगेटर व जेनरेटिव कृत्रिम मेधा यानी आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) जैसी उभरती तकनीक के उपयोग की संभावना तलाशने को कहा है।
इन बैंकों के प्रदर्शन की समीक्षा के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई बैठक में कहा गया है कि मानव संसाधन प्रशिक्षण में सहयोग तथा ग्राहकों को कम खर्च में उनकी पसंद की सेवाएं मुहैया कराने के लिए वे प्रौद्योगिकी के उपयोग की संभावना तलाशें।
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘डिजिटल बैक ऑफिस के सभी क्षेत्रों में स्वचालन की प्रक्रिया होनी चाहिए और शाखाओं में भी ऑटोमेशन का उपयोग किया जाना चाहिए।’
बैंकिंग क्षेत्र के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस समय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग में तकनीकी उन्नयन के लिए अलग-अलग पैसे खर्च कर रहे हैं, जिससे कुल लागत लागत बढ़ रही है। उन्होंने कहा, ‘बैंकों के बीच सहयोग से लागत घटाने में मदद मिलेगी क्योंकि साइबर सुरक्षा, उपयोगकर्ताओं की निजी जानकारी की सुरक्षा और ऋण आवंटन के लिए उन्नत सूचना साझेदारी के लिए साझा बुनियादी ढांचे की जरूरत है।’
वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को आगाह करते हुए कहा है कि तकनीकी सेवाओं सहित महत्त्वपूर्ण सेवाओं को ठेके पर किसी और के हवाले करते समय ग्राहकों की सुरक्षा पर ध्यान दिया जाए।
अप्रैल में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्तीय क्षेत्र की विनियमित संस्थाओं द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी की आउटसोर्सिंग के लिए अपने अंतिम नियमों में कहा है कि कोई भी काम ठेके पर कराने के बाद भी उनकी जिम्मेदारी में कमी नहीं आएगी और आउटसोर्सिंग के लिए अंतत: बोर्ड तथा वरिष्ठ प्रबंधन ही जिम्मेदार होंगे।
उक्त अधिकारी ने कहा, ‘बैंकों से कहा गया है कि वे प्रारंभिक चेतावनी के संकेतों का दायरा बढ़ाने के लिए विश्लेषण का लाभ उठाएं, जिससे उन्हें उच्च जोखिम वाले लेनदारों की पहचान करने और उन तक पहुंचने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही आर्थिक गतिविधियों में डिजिटल जुड़ाव से विकास भी होगा।’
इन बैंकों से ऋण आवंटन की प्रक्रिया को ‘परिसंपत्ति आधारित ऋण’ वाले पुराने जमाने से निकालकर नई पीढ़ी की तकनीक का उपयोग करते हुए ‘लेनदेन और नकदी प्रवाह आधारित ऋण’ की व्यवस्था अपनाने के लिए कहा गया है। ऐसे बैंकों से फिनटेक और बड़ी तकनीकी कंपनियों से पैदा होने वाले व्यावसायिक जोखिमों को कम करने के लिए उपयुक्त तंत्र विकसित करने की भी अपेक्षा की गई है।
कारोबार संचालन के मोर्चे पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को उन्नत जोखित प्रबंधन कार्यप्रणाली अपनाने तथा तकनीकी उन्नयन के जरिये साइबर सुरक्षा जोखिम को कम करने पर ध्यान देने के लिए कहा गया है।
पिछले महीने आरबीआई के डिप्टी गवर्नर मुकेश जैन ने कहा था कि बैंकों को संभावितखामियों को दूर करने के लिए पर्याप्त नियंत्रण और सुरक्षा सुनिश्चित करके तकनीक अपने में सावधानीपूर्वक प्रबंधन करना चाहिए।