अगस्त महीने में ऑटो डेबिट भुगतान बाउंस और कम हुआ है, जिससे कोविड-19 की दूसरी लहर के बाद स्थिति धीरे धीरे सामान्य होने के संकेत मिल रहे हैं। जुलाई महीने में नैशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस (एएसीएस) के माध्यम से असफल ऑटो डेबिट अनुरोध कम हुए थे, जो इसके पहले तीन महीने की स्थिति के विपरीत था और दूसरी लहर के बाद स्थिति में सुधार के संकेत मिले थे।
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के आंकड़ों के मुताबिक अगस्त महीने में 876.8 करोड़ लेन-देन की पहल की गई, जिनमें से 32.98 प्रतिशत या 289.2 लाख ट्रांजैक् शन फेल हो गए, जबकि 587.6 लाख सफल रहे। मूल्य के हिसाब से देखें तो अगस्त में 25.34 प्रतिशत ट्रांजैक्शन असफल रहे हैं, जो महामारी के बाद सबसे कम स्तर है।
इक्रा के वाइस प्रेसीडेंट अनिल गुप्ता ने कहा, ‘मूल्य व मात्रा दोनों हिसाब से बाउंस की दर कम हुई है, लेकिन अभी भी महामारी के पहले के स्तर की तुलना में ज्यादा है। इससे कहा जा सकता है कि स्थिति निश्चित रूप से बेहतर हो रही है और सितंबर में स्थिति में और सुधार होगा।’
उन्होंने कहा, ‘लेकिन अभी भी हम खतरे से बाहर नहीं हैं क्योंकि बाउंस दर में गिरावट हो सकता है कि पुनर्गठन की वजह से कम हुई हो। इसने पुनर्भुगतान का बोझ थोड़ा कम किया है। बाउंस की दर ऊपर जा सकती है, अगर पुनर्गठन पोर्टफोलियो पर दबाव बढ़ता है। लेकिन बैंकों की रिपोर्ट के मुताबिक संग्रह बढ़ा है। इस तरह से अगर रिकवरी बरकरार रहती है तो बाउंस दरों में हम सकारात्मक स्थिति देख सकते हैं।’ जुलाई में 33.67 प्रतिशत ट्रांजेक्शन फेल हुए थे। जून की तुलना में बाउंस दर में यह उल्लेखनीय सुधार था।