संशोधित उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) श्रृंखला को ज्यादा प्रभावी और कीमतों में बदलाव का बेहतर तरीके से प्रतिनिधित्व करने वाला बनाने के लिए ज्यादा बाजारों से मूल्य संबंधित आंकड़े एकत्र किए जाएंगे। फिलहाल देश भर में 2,300 बाजारों से इस तरह के आंकड़े जुटाए जाते हैं जिनकी संख्या बढ़ाकर 2,900 की जाएगी। आधिकारिक सूत्रों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को इसकी जानकारी दी। यही नहीं, नई सीपीआई श्रृंखला में ऑनलाइन बाजार का भी डेटा होगा।
फिलहाल राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के क्षेत्रीय संचालन प्रकोष्ठ द्वारा चुने गए 1,181 गांवों और 310 शहरों-कस्बों के 1,114 बाजारों से मासिक मूल्य के आंकड़े एकत्र किए जाते हैं। फरवरी 2026 में पेश की जाने वाली नई श्रृंखला 25 लाख से अधिक आबादी वाले 12 शहरों के ऑनलाइन बाजारों से भी मूल्य संबंधी आंकड़े जुटाएगी।
अधिकारी ने कहा, ‘भौतिक बाजारों की संख्या करीब 25 फीसदी बढ़ाई जा रही है, साथ ही हम 12 प्रमुख आबादी वाले शहरों में ऑनलाइन मूल्य के आंकड़े एकत्र करेंगे, जिससे हमें ई-कॉमर्स क्षेत्र में प्रचलित कीमतों का पता चलेगा।’ 2011 की जनगणना के अनुसार इन 12 शहर में मुंबई, दिल्ली, बेंगलूरु, हैदराबाद, अहमदाबाद, चेन्नई, कोलकाता, सूरत, पुणे, जयपुर, लखनऊ और कानपुर शामिल हैं।
अधिकारी ने कहा, ‘हम ऑनलाइन बाजार में भारी छूट, बिक्री, ऑफर आदि के कारण होने वाले कीमतों में तेज उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखेंगे। हम इस पर विचार-विमर्श कर रहे हैं।’
इससे पहले मार्च में बिज़नेस स्टैंडर्ड ने खबर दी थी कि सांख्यिकी मंत्रालय ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के जरिये परिवार द्वारा उपभोग के लिए खरीदी गई वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों पर नजर रखने के लिए एक अलग ई-कॉमर्स सूचकांक बनाने पर भी विचार कर रहा है।
अधिकारी ने कहा, ‘हमने ऑनलाइन बाजारों के लिए एक अलग सूचकांक बनाने पर चर्चा की है। हालांकि यह अभी भी बहुत प्रारंभिक चरण में है और इसे मूर्त रूप देने में कुछ और समय लग सकता है।’
नई श्रृंखला में प्रस्तावित अन्य परिवर्तन के अलावा अस्थायी रूप से अनुपलब्ध वस्तुओं के लिए भारांश में कोई बदलाव नहीं होगा, जैसा कि वर्तमान में चलन है। इसके अलावा रेलवे, विमानन जैसी परिवहन सेवाओं के लिए मूल्य के आंकड़े ऑनलाइन एकत्र किए जाएंगे जबकि वर्तमान में टिकट काउंटर से आंकड़े जुटाए जाते हैं। नई श्रृंखला ओवर-द-टॉप (ओटीटी) स्ट्रीमिंग सेवाओं की कीमत के लिए भी डेटा जुटाएगी।
अधिकारी ने कहा, ‘अक्सर ऐसा होता है कि जब कर्मचारी आंकड़े एकत्र करने जाते हैं तो दुकान बंद होने या आइटम उपलब्ध न होने के कारण कुछ वस्तुओं के मूल्य उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। उस स्थिति में उस आइटम का भार अन्य वस्तुओं में वितरित किया जाता है। नई श्रृंखला में उस भार में बदलाव नहीं होगा। सूचकांक में प्रत्येक आइटम के लिए भार को अगले दो-तीन महीनों में अंतिम रूप दिया जाएगा।’