नागर विमानन मंत्रालय और सशस्त्र बलों के बीच बेहतर समन्वय की वजह से सेना ने हवाई क्षेत्र को नागरिक हवाई सेवा के लिए खोल दिया है। पहले यह भारतीय वायुसेना के लिए आरक्षित थी।
इससे भारतीय विमानन कंपनियों के लिए कई घरेलू मार्गों की दूरी कम हो गई है जिससे विमानन कंपनियों को ईंधन और लागत में बचत हो रही है। सरकार के अनुमान के मुताबिक विमानन कंपनियों से मिले ब्योरे की गणना से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2021 में विमानन ईंधन मद में 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत होगी।
भारतीय विमानन कंपनियों के परिचालन की कुल लागत में विमानन ईंधन की हिस्सेदारी करीब 35 से 40 फीसदी होती है। कर की ऊंची दरों के कारण अन्य देशों की तुलना में भारत में विमानन ईंधन की लागत करीब 40 फीसदी अधिक है। इसके साथ ही इससे कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी जो ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करने के अंतरराष्ट्रीय नागरिक विमानन संगठन की नीति है। वित्त मंत्री निर्माला सीतारमण ने घरेलू विमानन क्षेत्र को राहत देने के उपायों की घोषणा की थी और यह कदम उसी पहल का हिस्सा है। राजस्व में कमी से जूझ रही सरकार विमानन कंपनियों को वित्तीय मदद करने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में नीतियों में बदलाव कर विमानन क्षेत्र को प्रोत्साहन देने का प्रयास किया गया है। हवाई क्षेत्रों के तार्किक इस्तेमाल का विचार 2014 में ही आया था लेकिन विमानन कंपनियों के कार्याधिकारियों ने कहा कि इसका वास्तविक क्रियान्वयन मई से हुआ है।
सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागरिक विमानन मंत्रालय के अधिकारियों और भारतीय वायु सेना के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की थी। इसके बाद ही भारतीय हवाई क्षेत्रों का ज्यादा प्रभावी इस्तेमाल का निर्णय किया गया। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के एक अधिकारी ने कहा कि तमाम तरह की पाबंदियों की वजह से केवल 58 फीसदी भारतीय हवाई क्षेत्र का उपयोग हो रहा था।
एक निजी विमानन कंपनी के परिचालन प्रमुख ने कहा, ‘यह विचार लंबे समय से कागजों में अटका था क्योंकि सेना अपने हवाई क्षेत्र को खोलने के पक्ष में नहीं थी। लेकिन अब बेहतर समन्वय के कारण वास्तविक नतीजे दिख रहे हैं।’
उदाहरण के लिए मुंबई-श्रीनगर मार्ग पर वायु सेना ने पंजाब के समीप अपने बेस को खोल दिया है जिससे उड़ान का समय करीब 15 मिनट कम हो गया है। इस मार्ग पर एयरबस ए320 नियो का संचालन होता है और प्रति उड़ान ईंधन में भी करीब 450 किलोलीटर की बचत होती है। आधुनिक ए320 नियो में प्रति मिनट उड़ान में 30 किलोलीटर विमानन ईंधन की खपत होती है। इसी तरह महाराष्ट्र में ओझार हवाई क्षेत्र खुलने से दिल्ली-पुणे और नागपुर-पुणे के बीच दूरी कम हो गई है।
