आर्थिक रिकवरी में कृषि एवं संबंधित गतिविधियां अपवाद बनकर सामने आई हैं। खरीफ का उत्पादन मॉनसून की अनिश्चितता का शिकार हुआ है। इस सेक्टर का सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) 19 तिमाहियों में पहली बार संकुचित होकर वित्त वर्ष 2023-24 की अक्टूबर दिसंबर तिमाही में 0.7 प्रतिशत पर पहुंच गया है, जबकि दूसरी तिमाही में 1.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी।
2022-23 की तीसरी तिमाही में वृद्धि 5.2 प्रतिशत थी, इसने भी कृषि एवं संबंधित क्षेत्रों के जीवीए को नीचे लाने में अहम भूमिका निभाई है।
दूसरे अग्रिम अनुमान में कृषि औऱ संबंधित गतिविधियों की वृद्धि दर 2023-24 में महज 0.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जो 8 साल में सबसे सुस्त विस्तार है। 2015-16 में 0.6 प्रतिशत की सुस्त वृद्धि दर दर्ज की गई थी।
दरअसल अनुमानित वृद्धि दर 2023-24 के पहले अग्रिम अनुमान के 1.8 प्रतिशत के आधे से भी कम है। वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही सामान्यतया खरीफ की फसल का वक्त होता है।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि 2023 सीजन में खरीफ की बोआई का कुल रकबा 29 सितंबर, 2023 तक 1,107 लाख हेक्टेयर रहा है, जो एक साल पहले के स्तर की तुलना में 0.2 प्रतिशत अधिक है। बहरहाल धारणाएं अनुकूल नहीं है और कुछ फसलों जैसे दलहन (-4.2 प्रतिशत), तिलहन (-1.6 प्रतिशत) और कपास (-3 प्रतिशत) की बोआई का रकबा कम हुआ है। ऐसा असमान और कम बारिश की वजह से हुआ है।
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही अगस्त 2023 में बारिश दीर्घावधि औसत की तुलना में 36 प्रतिशत कम रही, जो 1901 के बाद की सबसे कम बारिश थी, जिसकी वजह से फसल की उत्पादकता में तेज गिरावट की संभावना है। 2023-24 में फसल के उत्पादन के पहले अग्रिम अनुमान के मुताबिक सभी खरीफ फसलों का उत्पादन अक्टूबर 2023 के अंत तक पिछले साल की तुलना में कम रहने का अनुमान है।
ऐसी फसलों में गन्ना (-11.4 प्रतिशत), चावल (-3.8 प्रतिशत) और मोटे अनाज (-6.5 प्रतिशत) शामिल हैं, जिनकी बोआई का रकबा बढ़ा था।