भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) को वर्ष 2022-23 में आठ निजीकृत हवाई अड्डों से दोगुने से भी अधिक रियायत शुल्क प्राप्त हुआ है क्योंकि वैश्विक महामारी कोविड-19 में कमी आई है, हवाई यात्रा में काफी इजाफा हुआ है तथा दिल्ली और मुंबई हवाईअड्डों के परिचालकों के साथ कानूनी मसलों का आंशिक रूप से समाधान कर लिया गया है।
वित्त वर्ष 23 की अप्रैल-दिसंबर की अवधि में AAI को दिल्ली, मुंबई, मंगलूरु, लखनऊ, अहमदाबाद, जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम में हवाईअड्डों के निजी परिचालकों से 2,444.38 करोड़ रुपये हासिल हुए।
बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा समीक्षा किए जाने वाले आंकड़ों के अनुसार यह राशि पूरे वित्त वर्ष 22 में एकत्रित किए गए रियायती शुल्क से 84.54 प्रतिशत अधिक है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि वित्त वर्ष 23 में इन आठ हवाईअड्डों से एकत्रित किया जाने वाला रियायत शुल्क दोगुनी से भी ज्यादा हो गया है।
जहां दिल्ली हवाईअड्डा जीएमआर समूह के नेतृत्व वाली दिल्ली इंटरनैशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) द्वारा चलाया जाता है, वहीं ऊपर वर्णित अन्य सात हवाईअड्डे अदाणी समूह की कंपनियों द्वारा चलाए जाते हैं।
वर्ष 2020-21 के दौरान डायल और अदाणी समूह द्वारा संचालित मुंबई इंटरनैशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (मायल) ने कोविड-19 के असर की वजह से अप्रत्याशित घटना के प्रावधानों का हवाला देते हुए AAI को रियायत शुल्क का भुगतान करना बंद कर दिया था।
मामला सुलझाने के लिए डायल और मायल मध्यस्थता के लिए चली गईं। अनुबंधों के अनुसार डायल को अपने सकल राजस्व का 45.99 प्रतिशत और मायल को 38.7 प्रतिशत हिस्सा रियायत शुल्क के रूप में AAI को भुगतान करना है।
हालांकि मध्यस्थता कार्यवाही चल रही है, लेकिन डायल और मायल ने AAI के साथ अंतरिम समाधान कर लिया है। डायल ने मई 2022 से मासिक रियायत शुल्क का दोबारा भुगतान करना शुरू कर दिया है। मायल ने जनवरी 2022 से दोबारा मासिक रियायत शुल्क भुगतान शुरू कर दिया है।
AAI के आंकड़ों के अनुसार डायल ने वित्त वर्ष 23 की अप्रैल-दिसंबर अवधि में 1,183.4 करोड़ रुपये जमा किए तथा मायल ने इस अवधि में 875.49 करोड़ रुपये जमा किए हैं।