सरकार ने शुक्रवार को घोषणा की कि राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) में सुधार के लिए वित्त सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित की जाएगी जो राजकोषीय बुद्धिमत्ता बनाये रखते हुए कर्मचारियों के हितों का ख्याल रखेगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में वित्त विधेयक 2023 को विचारार्थ और पारित करने के लिए प्रस्तुत करते हुए कहा कि NPS को लेकर नई पद्धति बनाई जाएगी जिसे केंद्र और राज्य सरकारें, दोनों अपना सकें। उन्होंने कहा, ‘मैं प्रस्ताव करती हूं कि पेंशन के मुद्दे पर विचार के लिए वित्त सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जाए और एक ऐसी तरीका निकाला जाए जिससे आम नागरिकों के संरक्षण के लिए राजकोषीय बुद्धिमत्ता बनाये रखते हुए कर्मचारियों की जरूरत पर ध्यान दिया जाए।’
सीतारमण ने कहा, ‘इस पद्धति को केंद्र सरकार और राज्य सरकारों, दोनों के अपनाने के लिए तैयार किया जाएगा।’ यह फैसला ऐसे समय में आया है जब अनेक गैर-भाजपा शासित राज्य सरकारों ने महंगाई भत्ते से जुड़ी पुरानी पेंशन योजना (OPS) को बदलने का फैसला किया है और कुछ अन्य राज्यों में कर्मचारी संगठन इसकी मांग कर रहे हैं।
राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश की सरकारों ने केंद्र को पुरानी पेंशन योजना बदलने के अपने फैसले के बारे में सूचित किया है और NPS के तहत जमा निधि में से धन लौटाने का अनुरोध किया है। केंद्र सरकार ने कुछ दिन पहले संसद को सूचित किया था कि वह एक जनवरी, 2004 के बाद भर्ती केंद्र सरकार के कर्मचारियों के संदर्भ में OPS बहाल करने के किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही।
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OPS के तहत सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों को उनके आखिरी मिले वेतन का 50 फीसदी मासिक पेंशन के रूप में मिलता है। महंगाई भत्ते की दर बढ़ने के साथ यह राशि बढ़ती रहती है। OPS को राजकोषीय रूप से टिकाऊ नहीं माना जाता क्योंकि इससे राजकोष पर भार बढ़ता रहता है। राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) और अटल पेंशन योजना के प्रबंधन के तहत 4 मार्च, 2023 तक कुल परिसंपत्तियां 8.81 लाख करोड़ रुपये की थीं।