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8.4 फीसदी रही विकास दर

Last Updated- December 11, 2022 | 11:11 PM IST

कोविड संबंधी बंदिशों में ढील देने और टीकाकरण में तेजी से चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था की विकास दर 8.4 फीसदी रही। हालांकि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में तेज बढ़ोतरी में पिछले साल की समान अवधि के कम आधार का भी योगदान रहा है। पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में जीडीपी में 7.4 फीसदी का संकुचन आया था। कोविड से पहले वित्त वर्ष 2020 की दूसरी तिमाही की तुलना में वृद्घि दर महज 0.3 फीसदी बढ़ी है।
इससे पता चलता है कि अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है लेकिन इसमें अभी खास तेजी नहीं आई है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी में 2020-21 की पहली तिमाही के मुकाबले 20.1 फीसदी की वृद्घि हुई थी लेकिन कोविड पूर्व अवधि की तुलना में जीडीपी में 9.2 फीसदी का संकुचन देखा गया था। कुल मिलाकर देखें तो चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में जीडीपी में 13.7 फीसदी की वृद्घि दर्ज की गई लेकिन कोविड पूर्व अवधि की तुलना में इसमें 4.4 फीसदी का संकुचन बना हुआ है। मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने कहा कि भारत चालू वित्त वर्ष में दो अंक में वृद्घि दर्ज कर सकता है। इस वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में संपूर्ण अर्थव्यवस्था में 57 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले सेवा क्षेत्र के कमजोर प्रदर्शन से कोविड पूर्व स्तर की तुलना में कुल विकास दर की रफ्तार कम रही। इस दौरान तीन प्रमुख क्षेत्रों में से सेवा क्षेत्र में भी गिरावट आई है। वित्त वर्ष 2020 की दूसरी तिमाही की तुलना में चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में व्यापार, होटल, परिवहन और संचार सेवाओं में 9.2 फीसदी की गिरावट आई। इसकी वजह यह रही कि कोविड के कारण लॉकडाउन का असर सबसे ज्यादा इसी क्षेत्र पर पड़ा है। हालांकि सेवा क्षेत्र के अंतर्गत अहम योगदान वाले वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवा क्षेत्रों की वृद्घि दर भ ी इस दौरान 2 फीसदी घटी है। निर्माण क्षेत्र में नरमी से सेवा क्षेत्र की वृद्घि दर में 0.3 फीसदी की कमी आई जबकि सबसे पहले इसी क्षेत्र से पाबंदियां हटाई गई थीं। उद्योग में बड़ी हिस्सेदारी रखने वाले विनिर्माण क्षेत्र में दूसरी तिमाही के दौरान कोविड पूर्व की समान अवधि की तुलना में 4 फीसदी का इजाफा हुआ। कृषि क्षेत्र में कोविड पूर्व स्तर की तुलना में सबसे ज्यादा तेजी आई है।
अर्थव्यवस्था में मांग को दर्शाने वाले अंतिम निजी खपत व्यय में चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के दौरान 3.5 फीसदी की गिरावट आई। दूसरी ओर त्योहारों से पहले इन्वेंट्री तैयार करने में जुटे उद्योगों के बावजूद निवेश में महज 1.5 फीसदी की वृद्घि दर्ज की गई।
क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने कहा कि निजी खपत में अभी निर्णायक सुधार नहीं दिखा है। मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के मुख्य अर्थशास्त्री निखिल गुप्ता ने कहा, ‘खपत मांग अभी कमजोर बनी हुई है।’ नाइट फ्रैंक इंडिया की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि सतत विकास के लिए खपत मांग में सुधार बहुत महत्त्वपूर्ण है। इसके बिना असंगठित क्षेत्र और एसएमई क्षेत्र में जल्दी तेजी नहीं आ सकती।

First Published - November 30, 2021 | 11:16 PM IST

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