रेटिंग एजेंसी इक्रा का कहना है कि कर्ज के पुनर्गठन के सख्त नियमों के कारण कुल कर्ज के करीब 5 से 8 प्रतिशत कर्ज के पुनर्गठन की संभावना है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने पुनर्गठन के पात्र कर्ज को लेकर कड़े मानक तय किए हैं। एक मार्च 2020 तक 30 दिन तक के बकाये की स्थिति में ही कर्ज के पुनर्गठन पर विचार किया जाएगा। साथ ही समाधान योजना का आकलन स्वतंत्र कर्ज आकलन (आईसीए) के माध्यम से होगा और बैंकों के लिए पुनर्गठित कर्ज के लिए ज्यादा प्रावधान होंगे। इक्रा में फाइनैंशियल सेक्टर रेटिंग के वाइस प्रेसिडेंट अनिल गुप्ता ने कहा, ‘किस्त टालने की योजना में आए 10 से 15 प्रतिशत अनुमानित कर्ज के बाद हम उम्मीद करते हैं कि वित्त वर्ष 2021 में कुल कर्ज का 3 से 4 प्रतिशत चूक की श्रेणी में आएंगे।’ गुप्ता ने कहा कि करीब 5 से 8 प्रतिशत का पुनर्गठन हो सकता है और शेष 2 से 3 प्रतिशत बकाया श्रेणी के कर्ज में वृद्धि करेंगे।
इक्रा ने इसके पहले अनुमान लगााय था कि वित्त वर्ष 2021 के दौरान बैंकों की चूक 5 से 5.5 प्रतिशत रहेगी, जिससे मार्च 2021 तक सकल गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) 11.3 से 11.6 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी। चूक 3 से 4 प्रतिशत घटने से जीएनपीए 31 मार्च 2021 तक बढ़कर 9.8 से 10.3 प्रतिशत हो जाएगी, जो 31 मार्च 2020 को 8.5 प्रतिशत थी।