ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (Zee Entertainment Enterprises Ltd.) और सोनी ग्रुप कॉर्प (Sony Group Corp ) के बीच विलय को लेकर अंतिम फैसला जल्द ही आने वाला है। ब्लूमबर्ग ने सूत्रों के हवाले से बताया कि Sony ग्रुप कॉर्प ज़ी एंटरटेनमेंट के साथ विलय को रद्द करने की योजना बना रहा है और वह इसके लिए 20 जनवरी को समाप्ति पत्र यानी टर्मिनेशन लेटर भेज सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया कि दोनों कंपनियों के मर्जर के बाद बनने वाले CEO को लेकर खींचतान के बीच सोनी इस सौदे को रद्द करने की योजना बना रही है। इस बात को लेकर संदेह बना हुआ है कि क्या ZEEL के CEO पुनीत गोयनका कंपनी का नेतृत्व करेंगे या नहीं। बता दें कि पुनीत गोयनका ZEEL के फाउंडर सुभाष चंद्रा के बेटे हैं। कथित तौर पर सोनी ग्रुप नहीं चाहता कि रेगुलेटरी जांच के बीच गोयनका मर्जर के बाद बनने वाली कंपनी का नेतृत्व करें।
पिछले महीने, दोनों कंपनियों को अपने भारतीय ऑपरेशन के मर्जर को बंद करने के लिए एक महीने की छूट दी गई थी, अगर मर्जर पूरा हो जाता है तो वह 10 अरब डॉलर की मीडिया दिग्गज कंपनी बन जाएगी।
ZEEL ने इस अवधि को बढ़ाने का अनुरोध किया था। मगर, सोनी ने एक बयान में कहा कि वह ZEEL की अन्य महत्वपूर्ण समापन शर्तों को पूरा करने की योजना जानने को इच्छुक हैं।
रिपोर्ट ने बताया कि दोनों कंपनियों के बीच अभी बातचीत जारी है, और इसे 20 जनवरी के पहले ही अंतिम रूप दिया जा सकता है।
ब्लूमबर्ग ने पहले ही बताया था कि ज़ी के एक प्रतिनिधि ने लीडरशिप के बारे में चर्चा किए बिना बताया कि कंपनी सौदे के लिए सभी आवश्यक शर्तों को समय पर पूरा करने के लिए ‘सक्रिय रूप से लगी हुई’ थी।
मार्केट रेगुलेटर सेबी ने जून में आरोप लगाया कि मुंबई स्थित मीडिया हाउस ने अपने फाउंडर, सुभाष चंद्रा द्वारा प्राइवेट फाइनैंशियल डील को कवर करने के लिए लोन की फर्जी वसूली की। सेबी ने एक अंतरिम आदेश में कहा कि चंद्रा और उनके बेटे गोयनका ने ‘अपने पद का दुरुपयोग किया’ और फंड की हेराफेरी की।
जबकि गोयनका को सेबी के आदेश के खिलाफ एक अपीलेट अथॉरिटी से राहत मिल गई थी। सेबी ने उन्हें एक लिस्टेड कंपनी में एग्जिक्यूटिव या डॉयरेक्टर पद पर रहने से रोक दिया था।
बता दें कि दिसंबर 2021 में, ज़ी एंटरटेनमेंट और सोनी पिक्चर्स अपने कारोबार का विलय करने पर सहमत हुई थीं। लेकिन, जी एंटरटेनमेंट के कुछ कर्जदाताओं की तरफ से आपत्तियां जताए जाने पर यह प्रक्रिया रुक गई थी। एस्सेल समूह के कई लेनदारों ने विलय योजना में जोड़े गए गैर-प्रतिस्पर्धा सेगमेंट को लेकर अपनी आपत्ति जताई थी।