आपूर्ति श्रृंखला का पुनर्गठन और चीन पर निर्भरता कम होना भारत के लिए एक बड़ा अवसर है क्योंकि कंपनियां और देश वैकल्पिक आपूर्ति स्रोतों की तलाश करेंगे। यह बात महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने आज 76वीं वार्षिक आम बैठक में शेयरधारकों को संबोधित करते हुए कही।
महिंद्रा ने कहा कि भारत सोर्सिंग में विविधीकरण का लाभ उठाने के लिए अच्छी स्थिति में है लेकिन देश को इन अवसरों का पूरा लाभ उठाने के लिए कुछ खाइयों को पाटने की आवश्यकता है। उन्होंने देश में रोजगार रहित वृद्धि का उल्लेख करते हुए कहा कि अधिकतर महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रतिभाओं का पलायन हो रहा है और कर्मचारियों द्वारा कंपनी छोड़ने की दर बढ़ रही है।
महिंद्रा ने कहा कि देश युवा आबादी होने का दावा करता है और ऐसे में यदि युवा आबादी के साथ-साथ रोजगार में वृद्धि नहीं हुई तो व्यापक सामाजिक अशांति पैदा होने की आशंका पैदा होगी। उन्होंने कहा, ‘सरकार अपना काम करने की कोशिश कर रही है। उसने 2023 तक सरकारी नौकरियों के लिए 20 लाख लोगों को नियुक्त करने की घोषणा की है। यह देखते हुए कि हमारे पास 90 करोड़ लोगों का दमदार कार्यबल है, अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है।’
सीएमआईई के आंकड़ों का हवाला देते हुए महिंद्रा ने कहा कि भारत में बेरोजगारी दर करीब 7-8 फीसदी है। उन्होंने कहा, ‘ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि रोजगार में वृद्धि की रफ्तार जीडीपी वृद्धि के अनुरूप नहीं रही।’
महिंद्रा ने कार्यबल की रोजगार क्षमता को एक प्रमुख मुद्दा करार दिया। काम करने में समर्थ महज 40 फीसदी कार्यबल ही वास्तव में काम कर रहा है अथवा काम की तलाश कर रहा है। अमेरिका में श्रम सहभागिता दर 60 फीसदी है। उन्होंने कहा कि इसका सबसे अधिक खमियाजा युवाओं और महिलाओं को भुगतना पड़ रहा है।
महिंद्रा ने कहा, ‘दुनिया में सबसे बड़ी युवा आबादी वाला देश होने के नाते हम आसानी से कल्पना कर सकते हैं कि यदि युवा आबादी के साथ-साथ रोजगार में वृद्धि नहीं हुई तो किस प्रकार की सामाजिक अशांति पैदा हो सकती है।’
महिंद्रा समूह के चेयरमैन ने कहा कि रोजगार सृजन मुख्य तौर पर गिग इकनॉमी के निचले छोर पर हो रहा है जिसमें उबर के लिए ड्राइवर, जोमैटो के लिए डिलिवरी बॉय शामिल हैं। निजी क्षेत्र में ऐसा होता दिख रहा है। उन्होंने कहा, ‘यह पर्याप्त नहीं है।’ रोजगार सृजन के लिए विनिर्माण को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। इससे बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित होंगे और भारत के अनुकूल वैश्विक कारकों का लाभ उठाया जा सकेगा।
अन्य विनिर्माण कंपनियों की तरह महिंद्रा ऐंड महिंद्रा भी आपूर्ति श्रृंखला में उथल-पुथल का फायदा उठाने की स्थिति में है। वाहनों की डिलिवरी के लिए लंबी प्रतीक्षा अवधि का यह एक प्रमुख कारण है। महिंद्रा ने कहा कि सेमीकंडक्टर की उपलब्धता काफी कम हो गई है।
महिंद्रा ऐंड महिंद्रा का राजस्व एकल आधार पर जून तिमाही में एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 67 फीसदी बढ़कर 19,617 करोड़ रुपये हो गया। तिमाही के दौरान उसका कर पश्चात लाभ भी सालाना आधार पर 67 फीसदी बढ़कर 1,430 करोड़ रुपये हो गया।
महिंद्रा ऐंड महिंद्रा का शुद्ध लाभ 67 फीसदी बढ़ा
प्रमुख वाहन कंपनी महिंद्रा ऐंड महिंद्रा का शुद्ध लाभ चालू वित्त वर्ष की जून तिमाही में सालाना आधार पर 67 फीसदी बढ़कर 1,430 करोड़ रुपये हो गया। एक साल पहले की समान अवधि में कंपनी ने 857 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया था। तिमाही के दौरान वाणिज्यिक वाहनों और ट्रैक्टरों की दमदार बिक्री से मुनाफे को बल मिला। नए मॉडलों की दमदार बुकिंग, अनुकूल मॉनसून और जिंस कीमतों में सुधार के मद्देनजर कंपनी को आगामी तिमाहियों के दौरान मार्जिन में सुधार होने की उम्मीद है।
तिमाही के दौरान कंपनी का राजस्व भी 67 फीसदी बढ़कर 19,613 करोड़ रुपये हो गया। हालांकि कमजोर मार्जिन के कारण आय के मोर्चे पर कंपनी का प्रदर्शन बाजार की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। तिमाही के दौरान एबिटा मार्जिन 11.9 फीसदी पर बाजार के अनुमान से करीब 30 आधार अंक कम रहा। बीएस