मध्य स्तर यानी 1 करोड़ डॉलर से 1 अरब डॉलर के बीच राजस्व वाली कंपनियों में वरिष्ठ प्रबंधन में भारतीय महिलाओं की संख्या 2021 के बाद से लगातार घटती जा रही है। एक अध्ययन में खुलासा हुआ है, जिसकी रिपोर्ट गुरुवार को जारी हुई है।
ग्रांट थॉर्नटन की ‘वीमन इन बिजनेस रिपोर्ट 2024’ के अनुसार मौजूदा समय में इस श्रेणी के कारोबार में 34 प्रतिशत महलाएं वरिष्ठ प्रबंधन पदों पर हैं। वर्ष 2023 में यह आंकड़ा 36 प्रतिशत था। इससे पहले 2021 और 2022 में क्रमश: 39 और 38 प्रतिशत महिलाएं वरिष्ठ पदों पर थीं। हालांकि वर्ष 2004 के 12 प्रतिशत के आंकड़े से यह संख्या अभी भी काफी ज्यादा है।
उद्योग जगत की कार्यप्रणाली में आया बदलाव वरिष्ठ पदों पर महिला अधिकारियों की घटती संख्या का बड़ा कारण है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कार्यप्रणाली में कम होते लचीलेपन के कारण 2024 में वरिष्ठ प्रबंधन में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में कमी आई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 में जहां 62.3 प्रतिशत कारोबार काम का हाइब्रिड मॉडल अपना रहे थे, वहीं यह आंकड़ा इस साल गिरकर 56.5 प्रतिशत पर आ गया है। पिछले साल जहां 27.3 प्रतिशत कंपनियों ने ही अपने कर्मचारियों को कार्यालय से काम करने पर जोर दिया, इस साल ऐसी कंपनियों की संख्या बढ़कर 34.7 प्रतिशत हो गई। विभिन्न कंपनियों में घर से काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या पिछले साल की 5.3 प्रतिशत से घटकर इस साल 1.8 प्रतिशत ही रह गई है।
रिपोर्ट में अच्छी बात यह सामने आई है कि भारत में वरिष्ठ भूमिका में महिलाओं की संख्या वैश्विक औसत 22 प्रतिशत से कहीं अधिक बनी हुई है। जहां तक महिलाओं की विभिन्न पदों पर भूमिका का सवाल है तो रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे अधिक महिलाएं मुख्य वित्त अधिकारी (40 प्रतिशत) के पदों हैं। उसके बाद मानव संसाधन निदेशक यानी एचआर डायरेक्टर (38 प्रतिशत) और मुख्य कार्याधिकारी या प्रबंध निदेशक (34 प्रतिशत) जैसे पदों पर कार्यरत हैं।
रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि कार्यपद्धति में बदलाव कर यानी हाइब्रिड मॉडल अपनाकर प्रबंधन में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की समस्या से निपटा जा सकता है।