विप्रो का एकीकृत शुद्ध लाभ वित्त वर्ष 23 की तीसरी तिमाही में सालाना आधार पर 2.8 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 3,052 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। पिछले साल की समान अवधि में कंपनी का शुद्ध लाभ 2,969 करोड़ रुपये रहा था।
कंपनी का एकीकृत राजस्व इस अवधि में 14.35 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 23,229 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो पिछले साल की समान अवधि में 20,313.6 करोड़ रुपये रहा था। फर्म के राजस्व में आईटी सेवा क्षेत्र का योगदान सबसे ज्यादा होता है और यह 12.8 फीसदी बढ़कर 23,055.7 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
ब्लूमबर्ग के शुद्ध लाभ के अनुमान को विप्रो ने पीछे छोड़ दिया, लेकिन राजस्व के अनुमान से मामूली पीछे रही। ब्लूमबर्ग ने 2,975 करोड़ रुपये के शुद्ध लाभ और 23,345 करोड़ रुपये के राजस्व की भविष्यवाणी की थी।
कंपनी के सीईओ व प्रबंध निदेशक टी. डेलापोर्ट ने कहा, आर्थिक अनिश्चितता जारी है। हालांकि तकनीक पर खर्च मजबूत बना हुआ है। क्लाइंट तकनीक को आगे बढ़ने का जरिया मानते रहेंगे, लेकिन अपनी प्राथमिकता उन सौदों की ओर तय कर सकते हैं जो निवेशपर तेज रिटर्न दे रहा है और वे दक्षता पर ध्यान केंद्रित करेंगे जबकि स्वविवेक वाले खर्च में कमी लाएंगे।
कंपनी का अनुमान है कि स्थायी मुद्रा के लिहाज से आईटी सेवा कारोबार से पूरे साल का राजस्व 11.5 फीसदी से 12 फीसदी के दायरे में बढ़ेगा। चौथी तिमाही में हालांकि यह बढ़ोतरी -0.6 फीसदी से लेकर 1 फीसदी तक रहेगी।
कंपनी के लिए सकारात्मक यह है कि उसके अनुबंध की कुल वैल्यू 4.3 अरब डॉलर रही, जो कंपनी के लिए अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। कुल बुकिंग 26 फीसदी बढ़ी जबकि बड़े सौदों की बुकिंग सालाना आधार पर 69 फीसदी बढ़ी। डेलपोर्ट ने कहा, हम अगली तिमाही में भी बुकिंग में मजबूती की उम्मीद कर रहे हैं।
सैमको सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक वीर त्रिवेदी ने कहा, स्थायी मुद्रा के लिहाज से चौथी तिमाही में राजस्व में -0.6 फीसदी से लेकर 1 फीसदी (तिमाही दर तिमाही) रहने का अनुमान है। पूरे साल के लिहाज से यह कंपनी अपनी समकक्षों से कमजोर रहेगी। कंपनी का राजस्व हालांकि परिचालन मानक के लिहाज से अच्छा है, लेकिन तिमाही दर तिमाही मार्जिन 120 आधार अंक सुधरा और उसमें और सुधार की उम्मीद है।
देश की अग्रणी आईटी फर्मों के लिए दिसंबर तिमाही (वित्त वर्ष 23) उम्मीद से बेहतर रही है, जो पारंपरिक रूप से कमजोर तिमाही होती है। ये चीजें चारों अग्रणी आईटी सेवा कंपनियों के मजबूत सौदे हासिल करने से साबित हुई हैं। टीसीएस शायद एकमात्र कंपनी है जिसने अपना सौदा 7.8 अरब डॉलर पर ले जाने में कामयाबी पाई है। टीसीएस ने 7 से 9 अरब डॉलर का सौदा बनाए रखा है।
इन्फोसिस, एचसीएल टेक और विप्रो की तरफ से सौदा हासिल करने की बात करें तो यह उम्मीद से बेहतर क्रमश: 3.3 अरब डॉलर, 2.3 अरब डॉलर और 4.3 अरब डॉलर रहा है।
गार्टनर के मुख्य विश्लेषक विश्वजित मैती की राय है कि ग्राहकों के बीच डिजिटलीकरण को लेकर बढ़ती दिलचस्पी ने आईटी कंपनियों की रफ्तार में इजाफा
किया है।
उन्होंने कहा, इसमें कोई संदेह नहीं है कि अगले कुछ साल तक यह रफ्तार जारी रहेगी क्योंकि इन कंपनियों के पास काफी मौके हैं। साथही ग्राहक अब स्वचालन, डिजिटल कायापलट और नवोन्मेष पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
अग्रणी आईटी फर्मों के लिए सबसे बड़ी सकारात्मक चीज नौकरी छोड़ने की दर में आई कमी है, जिसका मतलब यह भी है कि मार्जिन पर दबाव कम हुआ है।