विप्रो के मानव संसाधन प्रमुख सौरभ गोविल ने कहा है कि कंपनी ने अपने कर्मचारियों की वेतन बढ़ोतरी पर अभी फैसला नहीं लिया है और यह मांग के माहौल पर आधारित होगा। पिछले साल कंपनी ने 1 सितंबर से वेतन बढ़ोतरी लागू की थी। टैरिफ वॉर और भू-राजनीतिक उथल-पुथल के कारण अनिश्चित कारोबारी हालात को देखते हुए भारतीय आईटी सेवा कंपनियां वेतन वृद्धि और वेतन के वेरिएबल हिस्से के भुगतान को लेकर सतर्क रही हैं। टीसीएस ने अभी तक अपने 6,00,000 से ज्यादा कर्मचारियों के वेतन में इजाफा नहीं किया है और यह भी निश्चित नहीं है कि वह इस वित्त वर्ष में ऐसा कब करेगी। कंपनी के लिए यह दुर्लभ बात है।
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हालांकि विप्रो ने पिछली दो तिमाहियों के दौरान वेरिएबल भुगतानों का प्रतिशत बढ़ा दिया है और यह 90 फीसदी से भी ज्यादा हो गया है। 30 जून के अंत तक कंपनी के कुल कर्मचारियों की संख्या क्रमिक आधार पर 114 घटकर 2,33,232 रह गई। कमजोर व्यापक आर्थिक माहौल, परियोजनाओं की अनिश्चितताओं और परियोजनाओं की धीमी गति के कारण नियुक्तियों में नरमी जारी रही।
कंपनी में स्वैच्छिक तौर पर नौकरी छोड़ने की दर क्रमिक आधार पर 15.1 फीसदी हो गई। इसमें पिछले साल की इसी अवधि के 14.1 फीसदी के मुकाबले 100 आधार अंकों का इजाफा हुआ।
गोविल ने कहा कि आगे चलकर नौकरी छोड़ने की दर में कमी की उम्मीद है और यह अभी भी सहज सीमा में है। कुछ क्षेत्रों में नौकरी छोड़ने की दर ज्यादा है जिनमें उच्च और विशिष्ट कौशल, जीसीसी और स्टार्ट-अप शामिल हैं। हम इसे नियंत्रित करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।
कंपनी ने कहा कि उसने पिछले वित्त वर्ष में कॉलेजों से लगभग 10,000-12,000 इंजीनियरों को नियुक्त किया। हालांकि उसने इस बारे में कोई टिप्पणी से इनकार कर दिया कि वह मौजूदा भर्ती के तहत कितने लोगों की नियुक्ति करेगी क्योंकि कंपनियों की भर्ती रफ्तार धीमी है। यह मांग और व्यापक परिवेश पर आधारित होगी।