विप्रो के लंबे समय से कर्मचारी रहे श्रीनिवास पल्लिया ने नए सीईओ बनने से ठीक डेढ़ महीने पहले कंपनी में अपने 5 करोड़ रुपये के सभी शेयर बेच दिए थे। उन्होंने 14 फरवरी को बाजार बिक्री के माध्यम से 1,00,000 विप्रो शेयर बेचे। बिक्री की सूचना अगले दिन एक्सचेंज को दी गई। बिक्री के बाद, पल्लिया के पास विप्रो में कोई सिक्योरिटी नहीं बची है।
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, कंपनी ने अपने तिमाही और सालाना परिणामों की घोषणा से पहले साइलेंट पीरियड का हवाला देते हुए कॉमेंट नहीं करने का फैसला किया। 6 अप्रैल को, विप्रो ने पांच साल के कार्यकाल की समाप्ति से 15 महीने पहले सीईओ थिएरी डेलापोर्टे के इस्तीफे की घोषणा की थी।
पल्लिया को तुरंत टॉप पोजिशन पर प्रमोट कर दिया गया। हाल ही में विप्रो के राजस्व प्रदर्शन को लेकर चिंताएं पैदा हुई हैं, जो वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान अन्य भारतीय आईटी कंपनियों से पिछड़ गई है। पिछले दो सालों में विप्रो ने कई वरिष्ठ अधिकारियों नें इस्तीफे दिए हैं। सीईओ थिएरी डेलापोर्टे के कार्यकाल के दौरान लगभग एक दर्जन लोगों ने कंपनी छोड़ी।
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पल्लिया न्यू जर्सी से काम करते हैं और चेयरमैन रिशाद प्रेमजी को रिपोर्ट करते हैं। वह 1992 में विप्रो में शामिल हुए और उनके टॉप मार्केट, अमेरिका 1 का नेतृत्व किया। पिछले साल विप्रो के शेयरों में लगभग 27% की वृद्धि हुई, लेकिन सोमवार को वे बीएसई पर 2.47% गिरकर 459.25 रुपये पर बंद हुए।
आउटसोर्सिंग विशेषज्ञ पारीख जैन ने पल्लिया की शेयर बिक्री की टाइमिंग के बारे में एक दिलचस्प बात कही, उन्होंने कहा कि उन्हें पैसे की जरूरत हो सकती है या वह दूसरे वरिष्ठ अधिकारियों की तरह कंपनी छोड़ने का विचार कर रहे होंगे।
इसके चलते ही विप्रो के बोर्ड ने सीईओ ट्रांजिशन प्रोसेस को फास्ट फॉरवर्ड करने को फैसला किया। नए सीईओ के रूप में, पल्लिया को एक नया कॉन्ट्रैक्ट मिलेगा जिसमें मुआवजा पैकेज शामिल होगा। इसमें बेसिक वेतन, भत्ते, बोनस और स्टॉक यूनिट शामिल होंगी।