प्रमुख दूरसंचार कंपनी वोडाफोन-आइडिया ने सर्वोच्च न्यायालय को दी अपनी याचिका में कहा है कि कंपनी द्वारा किए गए भुगतान का दूरसंचार विभाग (डीओटी) द्वारा हिसाब-किताब नहीं किया गया है। समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) मांग में कुछ राजस्व मदों की दोहरी गिनती हो रही है तथा ऑपरेटर द्वारा किए गए रोमिंग शुल्क भुगतान के संबंध में विभाग द्वारा कटौती नहीं की गई है।
भारती एयरटेल द्वारा एजीआर मामले में दूरसंचार विभाग की गणना पर पुनर्विचार के लिए शीर्ष न्यायालय में याचिका दायर करने के कुछ दिनों बाद यह घटनाक्रम सामने आया है। वोडाफोन-आइडिया ने भी इसी लिहाज से शीर्ष न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। कंपनी ने अपनी याचिका में बकाया एजीआर की गणना में दूरसंचार विभाग की कुछ खास विसंगतियों के बारे में बताया है जिससे 5,932 करोड़ रुपये की अतिरिक्त मांग हो गई है।
वोडाफोन-आइडिया का अनुमान है कि दूरसंचार विभाग की 58,254 करोड़ रुपये की गणना की अपेक्षा, उसका बकाया 21,533 करोड़ रुपये है।
दूरसंचार विभाग के नोटिस के मुताबिक वीआईएल का बकाया तकरीबन 50,400 करोड़ रुपये है जिसका भुगतान 31 मार्च, 2031 तक 10 समान किश्तों में किया जाना है। कंपनी अब तक 7,854 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी है। इस सप्ताह की शुरुआत में भारती एयरटेल एजीआर से संबंधित बकाए में दूरसंचार विभाग की गणना में अंकगणितीय खामियों के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय गई थी।
दूरसंचार विभाग की गणना के अनुसार एयरटेल कुल 43,980 करोड़ रुपये के एजीआर बकाए की देनदार है जिसमें मूल धन, ब्याज, जुर्माना और जुर्माने पर ब्याज शामिल है। हालांकि इस दूरसंचार कंपनी के अपने मूल्यांकन के अनुसार उसे सरकार को 13,004 करोड़ रुपये चुकाने हैं। एयरटेल पहले ही दूरसंचार विभाग को 18,004 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी है।
ये घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आए हैं जब एजीआर बकाए की पहली किश्त के भुगतान की अंतिम तारीख – 31 मार्च, 2021 निकट आ रही है।
सितंबर में सर्वोच्च न्यायालय ने कंपनियों को कुल एजीआर बकाए का 10 प्रतिशत भुगतान 31 मार्च, 2021 तक करने की अनुमति प्रदान कर दी थी, जिसके बाद ये कंपनियां वर्ष 2021 और 2031 के बीच वार्षिक किश्तों में भुगतान कर सकती हैं। दूरसंचार कंपनियों को हर साल 7 फरवरी या इससे पहले भुगतान करना होगा।
अक्टूबर 2019 में सर्वोच्च न्यायालय ने एजीआर के संबंध में एक फैसला सुनाया था जो मुख्य रूप से दूरंसचार कंपनियों के लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क जैसी सरकारी बकाए की गणना के लिए इसकी परिभाषा से संबंधित था।
इस साल मार्च में दूरसंचार विभाग एक याचिका दायर की थी जिसमें उसने दूरसंचार कंपनियों की 20 साल की अवधि की क्रमबद्ध बकाया राशि के भुगतान की अनुमति मांगी थी। इस संबंध में पीठ ने 20 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। पीठ ने कहा था कि वह एजीआर से संबंधित बकाए के पुनर्मूल्यांकन या पुनर्गणना पर दलीलों को एक सेकंड भी नहीं सुनेगा।
