आर्थिक संकट से जूझ रही टेलकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया (Vi) ने रविवार को बताया कि सरकार उसकी बकाया स्पेक्ट्रम नीलामी देनदारी को इक्विटी शेयरों में बदल देगी, जिसकी कुल कीमत ₹36,950 करोड़ है। इसके बाद कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी 22.6% से बढ़कर लगभग 49% हो जाएगी। इस कदम के बाद सरकार अब इस मुश्किलों से जूझ रही टेलीकॉम कंपनी की सबसे बड़ी शेयरधारक बन गई है।
Vi ने एक्सचेंज फाइलिंग में बताया, “दूरसंचार मंत्रालय ने सितंबर 2021 में घोषित टेलीकॉम सेक्टर के रिफॉर्म्स और सहायता पैकेज के तहत यह फैसला लिया है कि बकाया स्पेक्ट्रम नीलामी देनदारियों—जिसमें स्थगन अवधि खत्म होने के बाद चुकाई जाने वाली स्थगित देनदारियां भी शामिल हैं—को इक्विटी शेयरों में बदला जाएगा, जो भारत सरकार को जारी किए जाएंगे। इक्विटी में बदले जाने वाली कुल राशि ₹36,950 करोड़ है।”
Vi ने बताया कि उसे ₹10 फेस वैल्यू वाले 3,695 करोड़ इक्विटी शेयर ₹10 की कीमत पर जारी करने का निर्देश मिला है। ये शेयर जरूरी मंजूरी मिलने के 30 दिनों के अंदर सरकार को दिए जाएंगे। इसमें सेबी और दूसरी रेगुलेटरी अथॉरिटी की मंजूरी शामिल है। इस कदम के बाद प्रमोटर समूह—आदित्य बिड़ला ग्रुप और वोडाफोन पीएलसी—कंपनी पर अपना परिचालन नियंत्रण बनाए रख सकेंगे।
इस महीने की शुरुआत में Vi के सीईओ अक्षय मूंधड़ा ने दूरसंचार विभाग (DoT) को पत्र लिखकर कंपनी की एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) देनदारियों और 2012, 2014, 2015 और 2016 की नीलामियों में हासिल स्पेक्ट्रम पर स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज की किस्तों को इक्विटी में बदलने की अनुमति मांगी थी।
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सितंबर 2021 में कैबिनेट द्वारा मंजूर टेलीकॉम रिफॉर्म्स पैकेज के तहत सरकार ने आर्थिक रूप से संकटग्रस्त टेलीकॉम कंपनियों को सरकारी बकाया कर्ज के एक हिस्से को इक्विटी में बदलने की अनुमति दी थी। फरवरी 2023 में, करीब 16 महीने की चर्चा के बाद सरकार ने Vi की ₹16,000 करोड़ की ब्याज देनदारी को इक्विटी में बदलने को मंजूरी दी थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने कंपनी में 33.1% हिस्सेदारी ले ली थी।
रिफॉर्म्स पैकेज के तहत उस ब्याज को इक्विटी में बदलने की अनुमति दी गई थी जो मोरेटोरियम अवधि के दौरान लगा था, और Vi ने इसी विकल्प को चुना। साथ ही सरकार को यह विकल्प भी खुला रखा गया था कि वह सितंबर 2025 में चार साल की मोरेटोरियम अवधि खत्म होने के समय मूलधन को भी इक्विटी में बदल सकती है।
अक्टूबर के बाद Vi पर बड़ी भुगतान जिम्मेदारियां हैं। अक्टूबर 2025 से मार्च 2026 के बीच कंपनी को सरकार को मूलधन और ब्याज मिलाकर करीब ₹12,000 करोड़ चुकाने हैं। इसके बाद वित्त वर्ष 2026-27 से 2030-31 तक हर साल लगभग ₹43,000 करोड़ का भुगतान करना होगा।
वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) के अंत तक Vi का बैंकों और वित्तीय संस्थानों के प्रति बकाया घटकर ₹2,330 करोड़ रह गया जो एक साल पहले इसी अवधि में ₹7,620 करोड़ था। हालांकि, कंपनी पर अभी भी सरकार को ₹1.38 लाख करोड़ की स्थगित स्पेक्ट्रम भुगतान देनदारी और ₹69,020 करोड़ की एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) देनदारी चुकानी बाकी है।