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फिर बढ़ेगी वीडियोकॉन के समाधान की समयसीमा

Last Updated- December 12, 2022 | 6:52 AM IST

मार्च के आखिर तक की वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज के समाधान की समयसीमा में भारतीय लेनदार एक बार फिर इसका समाधान नहीं कर पाएंगे क्योंंकि नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने वेदांत की पेशकश पर सुनवाई स्थगित कर दी। वीडियोकॉन समूह की कंपनियों पर लेनदारों ने 46,000 करोड़ रुपये का दावा किया था जब उसे कर्ज समाधान के लिए एनसीएलटी भेजा गया था और वे दिसंबर 2017 से इसके समाधान की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
पिछले साल दिसंबर में वेदांत ने वीडियोकॉन के अधिग्रहण की बोली जीत ली थी जब बैंकों ने बोलीदाताओं से एकीकृत योजना मांगी थी। वेदांत की 3,000 करोड़ रुपये की पेशकश हालांकि लेनदारोंं की उम्मीद से काफी कम थी, लेकिन दूसरी आकर्षक बोली भी नहीं थी।
एक बैंंकर ने कहा, एनसीएलटी इसे अगले महीने के लिए टाल रहा है, लिहाजा वे समयसीमा में समाधान नहीं निकाल पाएंगे। बैंंकर ने कहा, वीडियोकॉन के समाधान में लेनदार अपने बकाए का 10 फीसदी भी नहीं हासिल कर पा रहे हैं और हर महीने बैंकों को ब्याज आय के रूप में 30 करोड़ रुपये गंवाना पड़ रहा है। इसमें देरी अधिग्रहणकर्ता समेत सभी हितधारकों के लिए सबसे खराब नतीजा है। वेदांत की तरफ से पेशकश प्रवर्तक के स्वामित्व वाली इकाई ने की है और वह सूचीबद्ध कंपनी से नहीं जुड़ी हुई है। वीडियोकॉन की परिसमापन कीमत 2,600 करोड़ रुपये थी।
वीडियोकॉन ने बैंक कर्ज पर चूक शुरू की थी जब सर्वोच्च न्यायालय ने साल 2012 में उसके सभी वायरलेस टेलिकॉम लाइसेंस रद्द कर दिए थे, जिसके कारण वीडियोकॉन की इक्विटी में 10,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। दूरसंचार कंपनी को दिया गया कर्ज भी एनपीए बन गया।
साल 2017 में वीडियोकॉन आरबीआई की तरफ से बनाई कंपनियों की दूसरी सूची में शामिल थी क्योंकि वह दिवालिया संहिता के तहत कर्ज समाधान के लिए फिट बैठती थी। एसबीआई की तरफ से कर्ज पुनर्गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने के बाद ऐसा हुआ। वीडियोकॉन के अलावा कई अन्य अहम मामले मसलन भूषण पावर ऐंड स्टील व रिलायंस कम्युनिकेशंस, लैंको भी हैं, जो कानूनी प्रक्रिया मेंं फंसे हुए हैं और इस पर कोई स्पष्टता नहीं है कि कब इनका समाधान होगा।

First Published - March 19, 2021 | 12:24 AM IST

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