दुनिया भर में उत्सर्जन और ग्रीन एनर्जी पर ध्यान दिए जाने के बावजूद भारत की क्लाइमेट टेक कंपनियों में वेंचर कैपिटल (वीसी) एवं निजी इक्विटी (पीई) निवेश में सुस्ती दिख रही है। वर्ष 2024 के दौरान उनके निवेश में 61 फीसदी की जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई और वह एक साल पहले के 3.4 अरब डॉलर के मुकाबले महज 1.3 अरब डॉलर रह गया। सीबी इनसाइट्स द्वारा किए गए एक वैश्विक अनुसंधान से यह खुलासा हुआ है। यह कोविड वर्ष 2020 के बाद का सबसे खराब प्रदर्शन है।
हालांकि 2021 के बाद भारत के इस क्षेत्र में पीई एवं वीसी निवेश में लगातार वृद्धि दर्ज की गई और पिछले साल भारी गिरावट दर्ज किए जाने से पहले 2023 तक हर साल निवेश बढ़ रहा था। मगर वैश्विक रुझान के अनुरूप भारत की इन कंपनियों में पीई एवं वीसी निवेश घटा है। वैश्विक स्तर पर ऐसा रुझान दिख रहा है कि उत्सर्जन को शून्य के करीब लाने के लिए सरकारों द्वरा स्वच्छ ऊर्जा पर जोर दिए जाने के बावजूद निवेशकों के लिए इस क्षेत्र का आकर्षण कम होता जा रहा है।
ट्रंप प्रशासन के हालिया फैसलों ने ग्रीन एनर्जी की दिशा में कई वैश्विक पहल को रोक दिया है जिससे इस रुझान को बढ़ावा मिल सकता है। पहला, ट्रंप ने इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर सब्सिडी देने और चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए निर्धारित 3 अरब डॉलर के फंड को कम कर दिया है। इससे इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रसार पर ब्रेक लग जाएगा। दूसरा, ट्रंप ने वैश्विक उत्सर्जन को सीमित करने के लिए पेरिस जलवायु समझौते से बाहर निकलने का फैसला किया है जिससे जलवायु संबंधी वित्तपोषण की रफ्तार धीमी पड़ जाएगी।
क्लाइमेट टेक कंपनियों के लिए जलवायु संबधी वैश्विक वित्तपोषण भी वर्ष 2024 में 40 फीसदी घटकर 30.9 अरब डॉलर रह गया जबकि एक साल पहले यह आंकड़ा 51.5 अरब डॉलर था। दिलचस्प है कि दुनिया भर में इलेक्ट्रिक वाहन प्रौद्योगिकी सौदों में इस दौरान 60 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की गई। साल 2024 में हुए ऐसे सौदों की संख्या 243 रही जबकि 2023 में ऐसे 630 सौदे हुए थे।
भारत में तो सौदों की संख्या के साथ-साथ सौदों के औसत आकार में भी गिरावट आई है। उदाहरण के लिए, ऐसे एक सौदे का औसत आकार 2024 में 1.21 करोड़ डॉलर था। मगर 2023 में ऐसे सौदों का औसत आकार 2.37 करोड़ डॉलर पर लगभग दोगुना था।
इसके अलावा क्लाइमेट टेक कंपनियों में हुए कुल वीसी एवं पीई निवेश में भारत की हिस्सेदारी भी घट रही है। वर्ष 2024 के दौरान कुल वैश्विक निवेश में भारत की हिस्सेदारी 4.2 फीसदी रही जबकि वर्ष 2023 में यह 6.6 फीसदी रही थी। साल 2024 की चौथी तिमाही में सबसे बड़ा सौदा 8.5 करोड़ डॉलर का था। इसके तहत स्टरलाइट पावर ने निजी इक्विटी कंपनियों इनाम होल्डिंग्स और जीईएफ कैपिटल पार्टनर्स सहित अन्य निवेशकों से रकम जुटाई थी। इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में केवल एक सौदा हुआ जिसके तहत इलेक्ट्रिक मोबाइक कंपनी अल्ट्रावॉयलेट ने जोहो, ओजस कंसल्टेशन आदि निवेशकों के एक समूह से 1.2 करोड़ डॉलर जुटाए थे।