भारतीय दवा प्लांटों पर अमेरिकी खाद्य एवं दवा प्रशासन (USFDA) की निगरानी तो बढ़ी है, मगर नोटिस पहले से कम प्लांटों को मिले हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि 2023 के पहले 6 महीनों में सिर्फ तीन भारतीय निर्माण प्लांटों को ही ‘ऑफिशियल एक्शन इंडिकेटेड’ (OAI) दर्जे से संबंधित नोटिस मिले, जबकि 2021 और 2022 में यह संख्या 16 थी।
OAI दर्जे का मतलब होता है नियामक द्वारा निगरानी के वक्त आपत्तिजनक स्थिति पाया जाना। ऐसे हालात में नियामकीय कार्रवाई की जा सकती है।
भारत में प्रमुख 24 दवा कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले इंडियन फार्मास्युटिकल अलायंस (IPA) के आंकड़े से पता चलता है कि 2023 के दौरान 52 निरीक्षणों में से 49 को VAI (वोलंटरी एक्शन इंडिकेटेड) या NAI (नो एक्शन इंडिकेटेड) दर्जे मिले।
VAI का मतलब आपत्तिजनक हालात का पता चलना होता है, लेकिन एजेंसी इसके खिलाफ पूरी तरह से कदम उठाने या नियामकीय कार्रवाई के लिए तैयार नहीं होती, जबकि NAI आपत्तिजनक हालात या कार्य प्रणाली से जुड़े नहीं होते हैं।
इसलिए, कैलेंडर वर्ष 2023 के पहले 6 महीने में कुल निगरानी में सिर्फ 6 प्रतिशत को ही OAI दर्जा मिला। यह वैश्विक निरीक्षणों से तुलना योग्य है। वर्ष 2023 में कुल 217 वैश्विक निरीक्षणों में से करीब 8 प्रतिशत को OAI दर्जा मिला।
वर्ष 2022 में USFDA द्वारा कुल एब्रिविएटेड न्यू ड्रग एप्लीकेशंस (ANDA) में भारत का योगदान 48 प्रतिशत रहा। वहीं USFDA द्वारा अमेरिका से बाहर प्लांटों को मंजूरी दिए जाने की संख्या के मामले में यह देश पहले पायदान पर रहा और 530 से ज्यादा प्लांटों को मंजूरी दी गई। अमेरिका भारत से 7.3 अरब डॉलर मूल्य के दवा उत्पादों का आयात करता है।
IPA के महासचिव सुदर्शन जैन ने कहा कि उनके संगठन ने कई वर्षों से भारतीय दवा उद्योग में गुणवत्ता सुधारने के प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा, ‘2015 में IPA क्वालिटी फोरम का गठन भारतीय दवा उद्योग में गुणवत्ता सुधारने के मकसद से किया गया था। 2021 से, IPA क्वालिटी फोरम ने क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया है।’
जैन ने कहा, ‘हमने भारतीय दवा निर्माण संघ के सदस्यों को शामिल किया है और शिक्षकों तथा छात्रों को प्रशिक्षण देने के लिए फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, जिससे कि ये छात्र उद्योग में सफलता हासिल कर सकें।’
IPA ने MSME के लिए करंट-गुड मैन्युफेक्चरिंग प्रैक्टिसेज (CGMP) ट्रेनिंग मॉड्यूल्स विकसित करने के लिए WHO के साथ भागीदारी की।
मैकिंसे ऐंड कंपनी के सीनियर पार्टनर विकास भदौरिया ने कहा कि यदि आप OAI का गहनता से विश्लेषण करें तो पता चलेगा कि भारतीय प्लांटों को 2018 से अब तक मिलने वाले नोटिसों में बड़ा बदलाव आया है। भदौरिया ने कहा, ‘मुख्य परिचालन अब मजबूत, नियंत्रित है और इसलिए एफडीए एंसिलियरी संबंधित परिचालन (उदाहरण के लिए, विद्युत विफलता के मामले में उपकरण शुरू और बंद करने) पर ध्यान दे रहा है।’
जैन ने कहा कि वे संशोधित शिड्यूल एम के सख्त क्रियान्वयन पर सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं। इस क्रियान्वयन में ऐसी गुणवत्तायुक्त प्रबंधन प्रणाली की जरूरत है जिसका इस्तेमाल निर्माता द्वारा चिकित्सीय सामग्री के डिजाइन एवं निर्माण के लिए किया जा सकेगा। शिड्यूल एम के संशोधन का मुख्य मकसद मौजूदा वैश्विक नियामकीय जरूरतों के अनुरूप गुणवत्ता मानकों में बदलाव लाना है।