कच्चे माल की कीमतों में गिरावट और मांग सुधार की उम्मीद से टायर निर्माता कंपनियों के शेयरों को मदद मिलने की संभावना है। सूचीबद्ध कंपनियों ने पिछले साल के दौरान औसतन 48 प्रतिशत का प्रतिफल दिया है, क्योंकि उन्हें कच्चे माल की कीमतों में नरमी और रीप्लेसमेंट बाजार में मजबूत कीमतों से मदद मिली।
कच्चे तेल और उससे संबं धित सहायक उत्पादों का टायर निर्माताओं के लिए कच्चे माल की कीमतों में करीब 50 प्रतिशत योगदान है। इससे प्रमुख कंपनियों को मार्जिन के संदर्भ में मदद मिलने की संभावना है।
शेयरखान रिसर्च के अनुसार, ‘सूचीबद्ध टायर कंपनियों ने कच्चे माल की लागत में नरमी की मदद से जुलाई-सितंबर तिमाही में परिचालन मुनाफा मार्जिन में तिमाही आधार पर 141 आधार अंक का सुधार दर्ज किया।’
उन्हें अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में कुछ दबाव का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि अक्टूबर और नवंबर के दौरान कच्चे माल की कीमतों में 5 प्रतिशत इजाफा हुआ है।
हालांकि, ब्रोकरों का मानना है कि कच्चे माल की कीमतों में नरमी से टायर निर्माताओं को जनवरी-मार्च तिमाही से फायदा मिलने की संभावना है।
जेएम फाइनैं शियल रिसर्च के विश्लेषकों रौनक मेहता और विवेक कुमार का कहना है, ‘कच्चे तेल की कीमतें 93 डॉलर प्रति बैरल से घटकर 78 डॉलर पर आने से वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही और वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही के दौरान मार्जिन प्रदर्शन अनुकूल रहने की संभावना है।’
कच्चे माल की लागत के अलावा, अन्य मुख्य कारक रीप्लेसमेंट और मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) सेगमेंट, दोनों में मांग से संबं धित होंगे। जहां त्योहारी सीजन के बाद दिसंबर में खुदरा बिक्री सुस्त बनी हुई है, वहीं मौजूदा शादियों के सीजन से यात्री वाहन और दोपहिया बाजार में बिक्री को बढ़ावा मिलने की संभावना है।
होलसेल (डीलरों के लिए ढुलाई) में, अतिरिक्त डिस्काउंट और कुछ मामलों में संयंत्र को सालाना तौर पर बंद रखे जाने की वजह से उत्पादन और आपूर्ति में कमी आ सकती है।
टायर निर्माताओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण कारक है रीप्लेसमेंट (बिक्री के बाद) सेगमेंट में तेजी आना, क्योंकि इसका बिक्री में 60 प्रतिशत से ज्यादा योगदान है। इस बाजार में बिक्री बढ़ने से कंपनियों को मुनाफा ऊंचा बनाए रखने में मदद मिली है।
जेएम फाइनैं शियल रिसर्च के अनुसार, कच्चे माल की कीमतें वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही के मुकाबले नरम पड़ने के बावजूद घरेलू रीप्लेसमेंट बाजार में प्रा प्तियां काफी हद तक स्थिर बनी रहीं, लेकिन टायर कंपनियों के मुनाफे में पिछली चार-पांच तिमाहियों के दौरान मुनाफे में सुधार दर्ज किया गया है।
हालांकि मौजूदा समय में सुस्त मांग परिवेश को देखते हुए कंपनियों द्वारा कीमतों में गिरावट या ज्यादा डिस्काउंट दिए जाने से भविष्य में उनके मुनाफे पर प्रभाव पड़ सकता है।
सूचीबद्ध कंपनियों में, एमआरएफ टायर द्वारा ओईएम मांग में शानदार वृद्धि की उम्मीद है और आ र्थिक गतिवि धि में सुधार के साथ रीप्लेसमेंट मांग सुधर सकती है।
आनंद राठी रिसर्च का मानना है कि कंपनी वित्त वर्ष 2023 से वित्त वर्ष 2026 के दौरान 9 प्रतिशत की राजस्व वृद्धि दर्ज करेगी। ब्रोकरेज को प्रतिफल अनुपात दो अंक में रहने का अनुमान है। कर-पश्चात नियोजित पूंजी पर प्रतिफल (आरओसीई) वित्त वर्ष 2023 के 6 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2026 में 12 प्रतिशत पहुंच सकता है। मार्जिन में वृद्धि और कम पूंजीगत खर्च से आरओसीई में इजाफा दर्ज करने में मदद मिल सकती है। ब्रोकरेज फर्म ने इस शेयर को 1.18 लाख रुपये प्रति शेयर के कीमत लक्ष्य के साथ ‘बनाए रखें’ रेटिंग दी है। एमआरएफ शेयर का मौजूदा भाव 1.19 लाख रुपये के आसपास है।
अपोलो टायर्स के लिए, जहां देश में मांग मजबूत बनी हुई है, वहीं निर्यात कमजोर है, क्योंकि यूरोपीय संघ के लिए बिक्री पर दबाव देखा जा रहा है। इसलिए, आईआईएफएल रिसर्च ने वित्त वर्ष 2024/ वित्त वर्ष 2025 में कंपनी के लिए एक अंक की राजस्व वृ द्धि का अनुमान जताया है।
कंपनी ने 12-15 प्रतिशत के अपने आरओसीई लक्ष्य को पार कर लिया है। जहां पूंजीगत खर्च पर नियंत्रण और ऊंचे मार्जिन के साथ मुक्त नकदी प्रवाह परिदृश्य सकारात्मक है, वहीं आईआईएफएल रिसर्च के इ क्विटी शोध विश्लेषक जोसफ जॉर्ज को दो अंक की राजस्व वृद्धि का अनुमान है।
मुख्य तौर पर निर्यात बाजारों से ज्यादातर राजस्व हासिल करने वाली बालकृष्ण इंडस्ट्रीज के लिए अल्पाव धि चुनौतियां बरकरार हैं। वै श्विक मंदी से संबं धित चिंताओं और यूरोप के साथ साथ अमेरिका में लू की वजह से बिक्री पर दबाव बने रहने की आशंका है। प्रबंधन को वित्त वर्ष 2024 के शेष समय में वृद्धि की राह स्थिर रहने का अनुमान है।
सिएट के लिए, जहां ब्रोकरों ने वित्त वर्ष 2024 और वित्त वर्ष 2025 के आय अनुमान को बरकरार रखा है तो कुछ ने इस शेयर को ‘तटस्थ’ रेटिंग दी है।