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बाजार से पैसा निकालने का सवाल ही नहीं उठता: ए बालासुब्रमण्यन

वैश्विक स्तर पर ऊर्जा की कीमतों में नरमी आई है, जिसमें कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट भी शामिल है

Last Updated- July 09, 2023 | 11:23 PM IST
‘Question of taking money out of the market does not arise’

वर्ष 2023 की पहली छमाही में बाजार ने अच्छा प्रदर्शन किया है। आदित्य बिड़ला सन लाइफ ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी के प्रबंध निदेशक (MD) और मुख्य कार्याधिकारी (CEO) ए बालासुब्रमण्यन ने ईमेल पर हुई बातचीत में पुनीत वाधवा को बताया कि इक्विटी ऐसी चीज है, जिसमें इस बात को ध्यान में रखते हुए निवेश बनाए रखना होता है कि बाजार घटता-बढ़ता रहेगा। संपादित अंश:

क्या बाजार वैश्विक व्यापक अर्थव्यवस्था के संबंध में ज्‍यादा ही आशावादी हैं? केंद्रीय बैंकों की प्रतिकूल परिस्थितियों पर कैसी प्रतिक्रिया होगी?

वैश्विक स्तर पर ऊर्जा की कीमतों में नरमी आई है, जिसमें कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट भी शामिल है। हालांकि मुद्रास्फीति की चिंता अब भी जस की तस बनी हुई है – चिंताजनक।

विकास के नजरिये से खास तौर पर अमेरिकी नौकरी बाजार विकास का संकेत देता प्रतीत होता है और इसलिए केंद्रीय बैंकर, विशेष रूप से अमेरिकी फेडरल रिजर्व, ब्याज दर बढ़ोतरी के मामले में आक्रामक और सतर्क बने हुए हैं।

ऐसा भी लगता है कि हम ब्याज दर बढ़ोतरी के अंतिम चरण में हैं और इस बात की काफी ज्‍यादा संभावना है कि इस साल हम न केवल ब्याज दर का शीर्ष स्‍तर देखेंगे, बल्कि दर कटौती की शुरुआत भी देखेंगे, जो वैश्विक स्‍तर पर या तो इस वर्ष के आखिर में या कैलेंडर वर्ष 2024 की पहली छमाही में नजर आएगी।

एक ओर व्‍यापक आर्थिक कारक अब स्थिर हो रहे हैं, दूसरी ओर भारतीय कंपनी जगत की कमाई की रिपोर्ट अब भी विश्लेषकों की उम्मीदों से बेहतर आ रही हैं। इस वजह से वहां उम्‍मीद का कारक है।

कुछ अर्थों में इससे मंदी का डर कम करने में मदद मिलती है। हमारा मानना है कि वर्ष 2023-24 की दूसरी छमाही में भी हमें और ज्‍यादा स्थिर से लेकर सकारात्मक तक का दृष्टिकोण दिखना चाहिए।

क्या अनियमित मॉनसून, मुद्रास्फीति और चुनावी कैलेंडर के बीच अगले साल भारतीय बाजार के लिए वैश्विक बाजार की तुलना में जोखिम अधिक है?

निवेशक के दृष्टिकोण से भारत की व्‍यापक आर्थिक स्थिति अनुकूल बनी हुई है। ऐसा लगता है कि व्‍यापक आर्थिक गतिविधियां अर्थव्यवस्था में विकास की रफ्तार का संचालन कर रही हैं, खास तौर पर सरकारी और निजी दोनों ही क्षेत्रों की ओर से खर्च में इजाफा हो रहा है।

अगर संपूर्ण रूप से देखा जाए, तो भारत बेहत स्थिति में नजर आता है। कच्चे तेल की कीमतें कम रहने की मदद के साथ आयात मुद्रास्फीति नियंत्रित रखने में भी मदद मिलेगी।

भारत उन व्यापक आर्थिक परिवर्तनों से लाभ उठा सकता है, जो उसके पक्ष में हैं, साथ ही उस वैश्विक निवेश से भी, जो उभरते बाजारों (ईएम) में प्रवाहित हो रहा है।

अपनी अर्थव्‍यवस्‍था की मूल शक्ति को ध्‍यान में रखते हुए, ऐसा लगता है कि हम और अधिक पैसा हासिल करने के लिहाज से बेहतर हालात में हैं।

चुनाव संबंधी खर्च होगा। आर्थिक दृष्टिकोण से यह सकारात्मक ही रह सकता है और इसलिए वैश्विक स्तर पर भारत निवेशकों की नजरों में बना रहना चाहिए।

क्या पैसे निकालने का समय आ गया है?

किसी को इक्विटी में निवेशित रहना होगा, यह देखते हुए कि बाजार उतार-चढ़ाव से गुजरेगा। हालांकि, लंबी अवधि में, इक्विटी बाज़ार अच्छा प्रदर्शन करता है।

इसलिए बाजार से पैसा निकालने का सवाल ही नहीं उठता। भारत के दृष्टिकोण से अगले पांच या सात वर्षों के लिए सामान्य दृष्टिकोण के साथ भी, हम एक अच्छी स्थिति में हैं। इक्विटी, एकल आधार पर, निवेशित रहने के लिए परिसंपत्ति वर्ग बनी रहेगी।

क्या आपको लगता है कि निवेशकों को अपना पोर्टफोलियो फिर से व्यवस्थित करना चाहिए क्योंकि बाजार रिकॉर्ड ऊंचाई पर कारोबार कर रहा है?

कोई भी पुनर्संतुलन पूरी तरह से इक्विटी बाजार से नहीं, बल्कि इक्विटी और ऋण के संयोजन के निवेश से किया जाना चाहिए। इसे परिसंपत्ति वर्ग संयोजन के नजरिये से देखना समझदारी है और यह अनुशासन दीर्घकाल में काफी अच्छा लाभ दिलाएगा।

First Published - July 9, 2023 | 11:23 PM IST

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