जॉब हायरिंग प्लेटफॉर्म इनडीड के एक हालिया सर्वेक्षण से पता चला है कि बड़ी संख्या में भारतीय कंपनियां कौशल आधारित नियुक्तियों पर जोर दे रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 80 फीसदी नियोक्ता डिग्री के मुकाबले प्रायोगिक कौशल और अनुभव को तवज्जो दे रहे हैं। इसके अलावा, करीब 60 फीसदी नियोक्ताओं को लगता है कि कौशल आधारित नियुक्ति कई उम्मीदवारों को सर्टिफिकेशन, विशेष प्रशिक्षण और काम को व्यावहारिक तरीके से सीखने के लिए प्रेरित करेगी।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि कंपनियों में नौकरी देने वाले करीब 42 फीसदी प्रबंधकों ने जरूरी कौशल वाले अभ्यर्थियों को ढूंढने में कठिनाई महसूस होने की शिकायत की है। कंपनियां डिग्री की जरूरत को हटा रही हैं और नौकरी विवरण का दोबारा मूल्यांकन कर रही हैं और बड़े पैमाने पर प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए भर्ती मानदंडों में भी बदलाव ला रही है।
प्रौद्योगिकी, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों की कंपनियों में यह प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है, जहां कंपनियों का मानना है कि शैक्षणिक योग्यता के मुकाबले काम की व्यावहारिक क्षमता ज्यादा जरूरी है।
इनडीड इंडिया में प्रतिभा रणनीति सलाहकार रोहन सिल्वेस्टर ने कहा, ‘नियुक्ति तेजी से विकसित हो रही है।
डिग्रियां अब भी मायने रखती हैं मगर अब वे नौकरी पाने का एकमात्र कारण नहीं रह गई हैं। नियोक्ता अब इसकी अधिक परवाह करते हैं कि उम्मीदवार क्या कर सकते हैं बजाय इसके कि उन्होंने कहां से पढ़ाई की है। तेजी से विकसित होती प्रौद्योगिकी के साथ कंपनियों को अब ऐसे लोगों की जरूरत है तो तेजी से इसे अपना सकें, समस्या का तुरंत समाधान कर सकते हैं और अपने कौशल को वास्तविक दुनिया के अनुसार ढाल सकें।’