पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में इजाफे के सरकार के ऐलान से वाहन उद्योग की रफ्तार पर ब्रेक लग सकते हैं।
उद्योग के पंडितों का कहना है कि कीमतें बढ़ने से आम उपभोक्ता की जेब पर तगड़ी मार पड़ेगी, जिसकी वजह से वाहन खरीद कम हो सकती है।
वाहन निर्माताओं के मुताबिक पेट्रोल में महज 5 रुपये और डीजल में महज 3 रुपये का इजाफा हुआ है, लेकिन इसका असर बहुत तगड़ा होगा। हो सकता है कि हाल-फिलहाल इसका असर मालूम न पड़े, लेकिन कुछ अर्से बाद इसकी असली मार का अहसास होगा।
दरअसल महंगाई पहले ही परवान चढ़ रही है और ईंधन की कीमत बढ़ने से उसमें और इजाफा होगा, जिससे वाहन खरीदने का मन बना चुके उपभोक्ता को भी हाथ खींचने पड़ेंगे। यह असर कार, वाणिज्यिक वाहनों, ट्रैक्टरों और दोपहिया समेत तमाम वाहन बनाने वाली कंपनियों पर पड़ेगा।
बजाज ऑटो के चेयरमैन राहुल बजाज ने कहा, ‘तेल बेचने वाली कंपनियों को कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों की वजह से बहुत परेशानी हो रही थी। अब बढ़ोतरी का असर बजाज ऑटो जैसी मोटरसाइकिल बनाने वाली कंपनियों पर तो पड़ेगा ही।’
इसी तरह वाणिज्यिक वाहन बनाने वाली कंपनियां मसलन अशोक लीलैंड और टाटा मोटर्स को भी सरकार के इस कदम से धक्का लगेगा। वाणिज्यिक वाहनों में आम तौर पर डीजल का ही इस्तेमाल होता है। जाहिर है कि इससे इन वाहनों को खरीदने वाले कम हो जाएंगे।
ब्याज दरों से पहले से ही परेशान ट्रैक्टर उद्योग को तो और भी परेशानी हो सकती है। अब तो उसे खरीदारों का और भी टोटा झेलना पड़ेगा। महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के खेती उपकरण क्षेत्र के अध्यक्ष अंजनी कुमार चौधरी ने कहा, ‘इस बढ़ोतरी से तो ढुलाई की लागत समेत पूरे वाहन की ही लागत बढ़ जाएगी। इसलिए हमें इससे परेशानी हो सकती है।’