आत्मनिर्भर पैकेज के तहत सरकारी बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के लिए विशेष ऋण योजना को करीब एक साल हो चुका हैं, लेकिन बकाये के भुगतान के मामले में इसका असर बहुत मामूली रहा है।
हालांकि मार्च 2020 से अब तक बिजली उत्पादन व पारेषण कंपनियों का डिस्कॉम पर बकाया 23 प्रतिशत कम हुआ है, लेकिन राज्य सरकारों की मालिकाना वाली वितरण कंपनियों का कर्ज महज 4 प्रतिशत घटा है।
31 मार्च तक के आंकड़ों के मुताबिक राज्यों के मालिकाना वाली वितरण कंपनियों का बकाया 1.13 लाख करोड़ रुपये था। भुगतान पर मोरेटोरियम के असर के कारण 30 जून, 2020 को यह बकाया 1.32 लाख करोड़ रुपये के उच्च स्तर पर था। दरअसल जून के अंत तक यह बकाया 31 मार्च, 2020 के 1.13 लाख करोड़ रुपये बकाये की तुलना में ज्यादा था।
अक्षय ऊर्जा कंपनियों सहित उत्पादन एवं पारेषण इकाइयों पर वितरण कंपनियों का बकाया 31 मार्च, 2021 तक 1.48 लाख करोड़ रुपये रहा है। यह भी 30 जून, 2020 को 2.53 लाख करोड़ रुपये के उच्च स्तर पर था।
उदय पोर्टल के मुताबिक परिचालन के मोर्चे पर देखें तो अपर्याप्त पारेषण व्यवस्था के कारण एटीऐंडसी हानि या बिजली आपूर्ति हानि 24 प्रतिशत है। यह वित्त वर्ष 2014-15 (वित्त वर्ष 15) के स्तर पर ही है, जब पहली डिस्कॉम सुधार योजना उदय शुरू की गई थी।
इक्रा के अनुमान के मुताबिक सरकारी डिस्कॉम का सकल कर्ज अखिल भारतीय स्तर पर वित्त वर्ष 22 में 6 लाख करोड़ रुपये को पार कर सकता है, जो वित्त वर्ष 21 में 5 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। यह उदय योजना लागू होने के 4 लाख करोड़ रुपये के स्तर से उल्लेखनीय रूप से ज्यादा है। यह बढ़ोतरी इसलिए होगी क्योंकि नकदी पैकेज के तहत कर्ज दिया गया। डिस्कॉम कर्ज के आधिकारिक आंकड़े अभी आने हैं।
इक्रा की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इतना ज्यादा कर्ज डिस्कॉम के लिए धारण करने योग्य नहीं है।’
जून 2020 में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कर्ज से दबे बिजली वितरण क्षेत्र के लिए स्पेशल लिक्विडिटी इन्फ्यूजन स्कीम की घोषणा की थी। डिस्कॉम के लिए 90,000 करोड़ रुपये की कर्ज योजना लाई गई थी, जिससे वे बिजली उत्पादन एवं पारेषण कंपनियों के बकाये का भुगतान कर सकें। सरकारी वित्तपोषण कंपनियां पावर फाइनैंस कॉर्पोरेशन (पीएफसी) और ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) ने इसके लिए 45,000-45,000 करोड़ रुपये दिए थे।
वितरण कंपनियों को मार्च, 2021 तक 75,000 करोड़ रुपये मिले थे। कुल 1.3 लाख करोड़ रुपये कर्ज दिया गया और योजना बंद कर दी गई। पीएफसी और आरईसी ने कुल मिलाकर 29,500 करोड़ रुपये (पीएफसी ने 14,900 करोड़ रुपये और आरईसी ने 14,600 करोड़ रुपये) पिछले दो महीने में दिए हैं।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के मुताबिक पैकेज के तहत कर्ज जारी करने के हाल के दौर से मूल्य शृंखला में नकदी डालने में मदद मिली है। बहरहाल संभवत: इससे दबाव कम नहीं होगा। मार्च, 2021 तक अनुमानित बकाया 1.48 लाख करोड़ रुपये है, जो दी गई कर्ज राशि की तुलना में ज्यादा है।
केंद्रीय बजट में 3.05 लाख करोड़ रुपये व्यय करके वितरण कंपनियों की सुधार योजना की घोषणा की गई थी। इस योजना के तहत राज्यों को अपनी कार्ययोजना बनानी थी और उसके मुताबिक उन्हें धन दिया जाना ता। पहले की योजनाओं के विपरीत मौजूदा योजना में सभी के लिए एकसमान नियम लाने का तरीका नहीं अपनाया गया है।
इक्रा ने मार्च में बिजली क्षेत्र पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि सरकारी वितरण क्षेत्र का परिदृश्य नकारात्मक बना हुआ है क्योंकि ज्यादातर सरकारी वितरण कंपनियों की वित्तीय स्थिति खराब है।