चाइनीज हैंडसेट की जबरदस्त धूम से सेलफोन बनाने वाली दिग्गज कंपनियों को अपने बहीखाते बिगड़ने का डर तो जरूर होगा, लेकिन उनका कहना है कि बाजार पर इससे शायद ही फर्क पड़े।
जबरदस्त फीचरों वाले सेलफोन केवल 2,000 रुपये में मिलने की बात पर भी ये कंपनियां बेफिक्री ही जताती हैं। देश भर के बाजारों में इस समय ताकतवर कैमरे, एमपी 3 प्लेयर, वीडियो रिकॉर्डर, दोहरे सिम, दोहरे स्पीकर, ब्लूटूथ और दो बैटरियों वाले सस्ते चाइनीज हैंडसेट का जलवा है।
इन हैंडसेट में टच स्क्रीन और महंगे बिजनेस फोन को टक्कर देने वाली खूबियां भी मौजूद हैं और किसी भी सूरत में इनके दाम 10,000 रुपये से आगे नहीं जाते। बाजार के जानकारों और हैंडसेट विक्रेताओं के मुताबिक इससे नामी कंपनियों को नुकसान होना लाजिमी है। लेकिन बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में तमाम कंपनियों ने इसे शुरुआती आकर्षण का नतीजा बताया और साफ तौर पर कहा कि इससे उनकी बिक्री घटने का सवाल ही पैदा नहीं होता।
सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स की महाप्रबंधक (कॉर्पोरेट कम्युनिकेशंस, दक्षिण पश्चिम एशिया) रुचिका बत्रा के मुताबिक ब्रांड वैल्यू आज भी सेलफोन बाजार खास तौर पर इलेक्ट्रॉनिक्स के बाजार में सबसे ऊपर आती है। इस मामले में नामी कंपनियां ही ऊपर रहेंगी। उन्होंने कहा, ‘चाहे बाजार कितना भी बदल जाए, ग्राहक तो हर हाल में विश्वसनीयता और वारंटी चाहता है।
चीन के हैंडसेट्स पर ग्राहक शायद ही उतना भरोसा कर सकें, जितना उन्हें हमारी कंपनी के हैंडसेट पर है। इसलिए हमें नहीं लगता कि इनसे हमारी बिक्री में कहीं से भी कोई कमी आएगी।’ हैंडसेट बनाने वाली एक और दिग्गज कंपनी एलजी भी यही मानती है। एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया लिमिटेड के जीएसएम कारोबार प्रमुख अनिल अरोड़ा ने कहा, ‘चाइनीज हैंडसेट को हम कोई खतरा नहीं मानते।
हमारी कंपनी का पहले से ही अच्छा खासा नाम है और चीन के हैंडसेट उस साख का मुकाबला नहीं कर सकते। इसलिए हमें अपने कारोबार पर फर्क पड़ने का बिल्कुल भी डर नहीं है।’ इंट्री लेवल फोन की बिक्री कम होने की बात को तो अरोड़ा मानते हैं, लेकिन उनका कहना है कि यह भी कुछ ही समय के लिए होगा।
उन्होंने कहा कि युवा खास तौर पर कॉलेज जाने वाले छात्र आकर्षण की वजह से अभी इन हैंडसेट्स को खरीद रहे हैं, लेकिन अगर उन्हें टिकाऊपन चाहिए, तो ब्रांडेड सेट ही खरीदना पड़ेगा। इसलिए इंट्री लेवल के हैंडसेट बाजार में भी कुछ ही समय के लिए मंदी आएगी। हैंडसेट के भारतीय बाजार की सबसे बड़ी कंपनी नोकिया इंडिया है। लेकिन कंपनी ने इस बारे में बिजनेस स्टैंडर्ड के सवालों पर कोई भी प्रतिक्रिया करने से इनकार कर दिया।
नोकिया की प्रवक्ता ने कहा कि चीन में भी कंपनी का बड़ा आधार है, इसीलिए किसी भी चीनी कंपनी के बारे में कोई भी टिप्पणी नहीं करना ही उनकी नीति है। मोटोरोला से भी संपर्क करने की बिजनेस स्टैंडर्ड ने कोशिश की। लेकिन इस बारे में भेजे गए ई मेल का कंपनी की ओर से र्कोई जवाब नहीं आया।
अलबत्ता बाजार के विशेषज्ञ जरूर यह मानते हैं कि सेलफोन कंपनियों को अगले कुछ महीनों में तो कड़ी चुनौती से रूबरू होना पड़ेगा। उनके मुताबिक भारत में बहुत बड़ा तबका ऐसा है, जो अत्याधुनिक फीचरों वाले हैंडसेट चाहता है, लेकिन उसके लिए बड़ी रकम खर्च करने की उसकी कुव्वत नहीं है।
ऐसे में वह तबका चाइनीज हैंडसेट्स की ओर जरूर खिंचेगा। लेकिन अगर ‘स्टाइल स्टेटमेंट’ जैसे पहलुओं को देखा जाए, तो युवा वर्ग ब्रांडेड हैंडसेट ही खरीदना चाहेगा क्योंकि चीन के हैंडसेट के साथ सस्ता होने का तमगा जो जुड़ा है।
जानकारों के मुताबिक आज भी चीन के सामान की गुणवत्ता पर सवाल उठाए जाते हैं और अक्सर उसके सामान को निचले दर्जे का माना जाता है। इसलिए बहुत मुमकिन है कि इन हैंडसेट्स का खुमार कुछ समय बाद उतर जाए और ब्रांडेड हैंडसेट्स की बिक्री फिर परवाज भरने लगे।