भारत 6G के नए वैश्विक नजरिए और सैटेलाइट संचार के नए अंतरराष्ट्रीय नियमों पर इंटरनैशनल टेलीकम्यूनिकेशन यूनियन (ITU) की नीति निर्माण की प्रक्रिया में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाएगा।
अधिकारियों के मुताबिक वैश्विक स्तर पर टेलीकॉम और डिजिटल उद्योग पर ध्यान केंद्रित किए जाने के मद्देनजर भारत अपने इस एजेंडे को बढ़ाने के लिए G20 के मंच का उपयोग कर सकता है। भारत वैश्विक तकनीक की नीतियों की बातचीत से अलग नहीं रहना चाहता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ITU के पहले नवोन्मेशी केंद्र और एरिया कार्यालय का बुधवार को उद्घाटन करेंगे। सूत्रों के मुताबिक इस अवसर पर प्रधानमंत्री 6G विजन के परिपत्र की भी घोषणा कर सकते हैं। इसके समानांतर पड़ोसी देशों व G-20 के देशों के संचार मंत्रियों के कॉनक्लेव भी होगा।
संयुक्त राष्ट्र की सूचना व संचार तकनीक (ITC) के लिए विशेषीकृत एजेंसी ITU है। भारत ITU को खासा महत्व दे रहा है। भारत ने हाल ही में ITU के रेडियो रेगूलेशन बोर्ड (RRB) में खास स्थान जीता है। भारत की सदस्य रेवती मन्नेपल्ली ने चुनाव जीता है। उन्हें 180 देशों में से 139 देशों का सर्मथन मिला। आरआरबी फ्रीक्वेंसी आबंटन पर राष्ट्रों और मुद्दों को हल करने के लिए शीर्ष निकाय है।
6G पर केंद्रित
ITU 6G सेल्यूलर तकनीक की पूरी रेंज पर नजर रखता है।
अधिकारियों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश के तहत भारत 6जी तकनीक पर रख रहा है। यह तकनीक इस दशक के अंत में आ सकती है।
दूरसंचार मंत्रालय ने कहा कि भारत का ध्येय 6G तकनीक के मानदंडों को स्थापित करने और तकनीकी नवोन्मेशों को जारी करने पहल हिस्सा लेना है।