दूरसंचार विभाग ने आपदा और आपातकालीन स्थिति के दौरान गुब्बारों का उपयोग कर 5जी कनेक्टिविटी प्रदान करने का सफल परीक्षण किया है। मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि विभाग अब ड्रोन का उपयोग कर 5जी सेवाएं प्रदान करने के लिए परीक्षण करने के लिए अनुरोध प्रस्ताव (आरएफपी) जारी करने की योजना बना रहा है।
दूरसंचार विभाग दूसरे प्रायोगिक परीक्षण के लिए आरएफपी में भाग लेने के लिए जुप्पा जियो नैव टेक, अयान ऑटोनॉमस सिस्टम्स, कॉमराडो एरोस्पेस, ब्लूइनफिनिटी इनोवेशन लैब्स और सागर डिफेंस इंजीनियरिंग जैसी पांच कंपनियों से संपर्क करने की योजना बना रहा है।
जुप्पा जियो नैव टेक के प्रबंध निदेशक साई पट्टाभिराम ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘सच कहूं तो मुझे इस आरएफपी अथवा आवेदन के बारे में कोई जानकारी नहीं है। न ही मुझसे इसके लिए संपर्क किया गया है। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि हम ड्रोन के लिए साइबर सुक्षित ऑटोपायलट (इलेक्ट्रॉनिक्स) के एकमात्र भारतीय विनिर्माता है इसलिए हमारा नाम शामिल किया गया होगा।’ अन्य चार कंपनियों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड के सवाल पर कोई जवाब नहीं दिया।
दूरसंचार विभाग ने गुब्बारे के साथ प्रायोगिक परीक्षण पिछले महीने आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम जिले के नूरमती गांव में किया था। सूत्रों ने बताया कि परियोजना सफल रही और उसमें देखा गया कि एक किलोमीटर के दायरे में 10 एमबीपीएस की स्पीड हासिल की जा सकती है।
परियोजना में एक जी-नोड बी (जीएनबी) को गुब्बारे में रखा गया था और नियंत्रण इकाई नीचे एक वाहन में अथवा जमीन पर किसी स्थान पर थी। सूत्रों के मुताबिक, 10 से 15 किलोग्राम भार उठाने की क्षमता वाला गुब्बारा 100 मीटर की ऊंचाई तक गया, जो जीएनबी और एंटेना के वजन के बराबर है। जीएनबी एक 5जी बेस स्टेशन होता है जो मोबाइल फोन को 5जी नेटवर्क से जोड़ता है। यह डेटा हस्तांतरण और संचार सेवाओं को प्रबंधित करता है।
दूरसंचार विभाग ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर), हैदराबाद और सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलिमैटिक्स (सी-डॉट) के साथ मिलकर गुब्बारे के साथ प्रायोगिक परीक्षण किया। सन् 1969 से संचालित हैदराबाद में टीआईएफआर की राष्ट्रीय गुब्बारा सुविधा स्ट्रेटोस्फेरिक गुब्बारा प्रक्षेपण और वैज्ञानिक गुब्बारा अध्ययन करती है।
यह एशिया में अपनी तरह का एकमात्र अनुसंधान केंद्र है। जहां सी-डॉट दूरसंचार विभाग के अधीन है वहीं टीआईएफआर परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत आता है। दूरसंचार विभाग, टीआईएफआर और सी-डॉट ने बिज़नेस स्टैंडर्ड के सवालों का कोई जवाब नहीं दिया।
दूरसंचार विभाग ने दो परीक्षणों को हरी झंडी देने से पहले विभिन्न समान वैश्विक परियोजनाओं का अध्ययन किया है। पहला गुब्बारे के साथ और दूसरा ड्रोन के साथ। उसकी आपदा प्रबंधन इकाई ने इस परियोजना का नेतृत्व किया है, जो आपदाओं और उसके बाद निर्बाध संचार व्यवस्था सुनिश्चित के लिए जिम्मेदार मानी जाती है।
इकाई का मानना है कि आपदाओं के दौरान संचार चैनल स्थापित करने के अलावा गुब्बारे और ड्रोन से 5जी सिग्नल शुरुआती चेतावनी संदेश और स्वचालित प्राथमिकता कॉल रूटिंग को लागू करने में मदद कर सकते हैं।
अधिक ऊंचाई वाले गुब्बारों का उपयोग कर दूरस्थ और कम सेवा वाले क्षेत्रों में इंटरनेट पहुंच प्रदान करने वाले गूगल के प्रोजेक्ट लून का भी अध्ययन किया गया। साल 2021 में प्रोजेक्ट लून बंद कर दिया गया था। थेल्स एलेनिया स्पेस द्वारा संचालित फ्रांसीसी परियोजना स्ट्रैटोबस का मकसद निगरानी, संचार और पर्यावरण की निगरानी के लिए करीब 20 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्वायत्त हवाई जहाजों की तैनाती करने का है।
सूत्रों ने बताया कि परियोजना पर अभी भी काम जारी है और दूसरंचार विभाग ने इसका भी अध्ययन किया था। एयरबस के जेफायर सौर ऊर्जा से संचालित ड्रोन समताप मंडल में उड़ान भरते वक्त निगरानी और संचार क्षमता प्रदान करना है। कुछ परीक्षण उड़ानें पूरी करने वाली जेफायर का और प्रयोग किया जा रहा है। इसका भी दूरसंचार विभाग ने अध्ययन किया था।
हैप्स मोबाइल द्वारा तैयार किए गए सनग्लाइडर एक अंतरराष्ट्रीय मोबाइल दूरसंचार बेस स्टेशन (हिब्स) के तौर पर एक सौर ऊर्जा संचालित अधिक ऊंचाई वाला प्लेटफॉर्म स्टेशन है। इसका मकसद दूर दराज वाले इलाकों और आपदा प्रभावित क्षेत्रों में कनेक्टिविटी प्रदान करना है। सन ग्लाइडर की सफल परीक्षण हुए हैं और दूरसंचार विभाग ने इसका अध्ययन भी किया था।
नैशनल एरोनॉटिक्स ऐंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) द्वारा तैयार किए गए हीलियस एक प्रायोगिक सौर ऊर्जा से चलने वाला विमान है और यह परीक्षण के दौरान 29 किलोमीटर से अधिक की ऊंचाई तक पहुंचता है। हेलियोस एक वाणिज्यिक हिब्स नहीं है, लेकिन दूरसंचार विभाग ने इसका अध्ययन भी किया था।
फेसबुक के समताप मंडल की ऊंचाई पर सौर ऊर्जा से चलने वाले ड्रोन के जरिये इंटरनेट प्रदान करने वाला प्रोजेक्ट एक्विला भले ही बंद कर दिया गया हो मगर दूरसंचार विभाग ने इसका भी अध्ययन किया था।