Tech talent war: देश में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेवा क्षेत्र के लगभग 4,500 प्रमुखों ने पिछले 12 महीनों में कम से कम एक बार नौकरी बदली है। ये लोग प्रबंधन स्तर के पदों पर हैं, जिनमें सी-सूट, निदेशक, उपाध्यक्ष, सहायक उपाध्यक्ष तथा कारोबार और परिचालन के प्रमुख शामिल हैं।
एक विशेष स्टाफिंग फर्म एक्सफेनो के आंकड़ों के अनुसार इस घटनाक्रम में भारत के आईटी सेवा क्षेत्र के कुल प्रमुख वर्ग का 4.5 फीसदी भाग शामिल है। हालांकि इस बात का विश्लेषण करना चुनौतीपूर्ण है कि पिछली बार आईटी उद्योग के वरिष्ठ प्रमुख स्तर (15 से 20 साल से अधिक अनुभव वाले व्यक्तियों) पर इस तरह का घटनाक्रम कब देखा गया था, लेकिन इस बार अधिकारियों द्वारा नौकरी छोड़कर जाने से कंपनियों को प्रतिभा के मामले में जूझना पड़ा है।
इन्फोसिस और विप्रो से नौकरी छोड़कर जाने के कुछ मामलों ने सुर्खियां बटोरीं। अकेले 2023 में ही विप्रो और इन्फोसिस से 30 से अधिक वरिष्ठ अधिकारियों को टेक महिंद्रा (टेकएम) और कॉग्निजेंट में नौकरी पर रखा गया था।
एक्सफेनो के सह-संस्थापक कमल कारंत ने कहा ‘आपको प्रबंधन स्तर पर नौकरी छोड़ने के मामले को उद्योग में हुए दो खास घटनाक्रमों के आलोक में देखना होगा। आईटी सेवा क्षेत्र की दो बड़ी कंपनियों में पिछले करीब एक साल में नए मुख्य कार्य अधिकारी आए हैं और वे अपनी प्रबंधन टीमों का पुनर्गठन, नियुक्ति या बदलाव कर रहे हैं। नौकरी छोड़कर जाने के कुछ मामलों में इन दो नए मुख्य कार्य अधिकारियों की नियुक्तियों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।’
यह बात उन लोगों की संख्या से भी स्पष्ट होती है, जो इन कंपनियों में शामिल हुए हैं। जनवरी और दिसंबर 2023 के बीच इन्फोसिस में नौ वरिष्ठ अधिकारियों ने नौकरी छोड़ दी। इसमें रवि कुमार का इस्तीफा भी शामिल है, जो कॉग्निजेंट में मुख्य कार्य अधिकारी के रूप में शामिल हुए थे तथा मोहित जोशी, जो अब मुंबई स्थित मुख्यालय वाली टेक महिंद्रा की कमान संभाल रहे हैं।
कुछ अन्य प्रमुख नामों में इन्फोसिस के मुख्य वित्तीय अधिकारी नीलांजन रॉय और मुख्य मानव संसाधन अधिकारी रिचर्ड लोबो आदि शामिल हैं। जब से कुमार ने कॉग्निजेंट का कार्यभार संभाला है, तब से वह कार्यकारी उपाध्यक्ष और वरिष्ठ उपाध्यक्ष के स्तर पर 20 से अधिक वरिष्ठ अधिकारियों को नियुक्त कर चुके हैं। मीडिया की खबरों के अनुसार कुमार चार से ज्यादा कार्यकारी उपाध्यक्ष और 20 से ज्यादा वरिष्ठ उपाध्यक्षों को नौकरी पर रख चुके हैं।
टेक महिंद्रा के मामले में भी यही हाल है। जोशी ने टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, इन्फोसिस और विप्रो से लोगों को काम पर रखा है। आईटी आउटसोर्सिंग सलाहकार और पारीख कंसल्टिंग के संस्थापक पारीख जैन इस कदम के लिए व्यापक आर्थिक हालात को भी जिम्मेदार मानते हैं। उन्होंने कहा कि माहौल कुछ हद तक मुश्किल रहा है, इसलिए कई लोगों के मामले में स्थिति काफी विकट रही है। औसत से कम प्रदर्शन की वजह से वरिष्ठ स्तर पर प्रतिभाएं बेहतर अवसरों की तलाश में हैं।