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कर में छुट्टी खत्म अब क्या होगा तेल कंपनियों का कदम

Last Updated- December 05, 2022 | 4:28 PM IST

तेल अन्वेषण और उत्पादन के क्षेत्र में देश की सबसे बड़ी कंपनी तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन, ओएनजीसी) काकीनाडा और मंगलूर में प्रस्तावित अपनी रिफाइनरी की परियोजना की समीक्षा करेगी।
कंपनी के चेयरमैन आर एस शर्मा ने वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा बजट में नई लगने वाली रिफानरियों को कर में जारी रियायत को खत्म कर देने को इसकी वजह बताया। आम बजट में 1 अप्रैल 2009 से चालू होने वाली रिफाइनरियों को कर में छूट नहीं दिए जाने का प्रावधान किया गया है। 
सार्वजनिक क्षेत्र की बड़ी कंपनी ओएनजीसी की योजना आंध्र प्रदेश के काकीनाडा में सालाना 150 लाख टन उत्पादन क्षमता वाली रिफाइनरी लगाने की है।
इसके अलावा मंगलूर में चालू मंगलूर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (एमआरपीएल) के साथ सालाना 150 लाख टन उत्पादन क्षमता वाली रिफाइनरी लगाने की भी योजना बना रही थी।
काकीनाडा की प्रस्तावित रिफाइनरी को विशेष आर्थिक क्षेत्र के तहत बनाने की योजना रही है।
इसमें कंपनी को विशेष आर्थिक क्षेत्र के अंतर्गत मिलने वाली कर में छूट से लाभ मिलेगा। काकीनाडा रिफाइनरी इस विशेष आर्थिक क्षेत्र की प्रमुख परियोजनाओं में से है। इस रिफाइनरी के लिए जमीन का अधिग्रहण पहले ही हो चुका है।
पिछले सात साल से नई रिफाइनरियों को कर में मिलने वाली छूट को खत्म करने से नई परियोजनाएं जरूर प्रभावित होंगी। इससे इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी) की उड़ीसा के पारादीप में बनने वाली नई रिफाइनरी, भटिंडा में हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन और लक्ष्मी निवास मित्तल के संयुक्त उपक्रम, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन की बीना रिफाइनरी और एस्सार ऑयल की गुजरात के वाडीनार में रिफाइनरी की परियोजनाओं पर प्रभाव पड़ेगा।
इसके बावजूद रिलायंस पेट्रोलियम की सालाना 270 लाख टन उत्पादन क्षमता वाली निर्माणाधीन रिफाइनरी कर के फेर से बचने में सफल रहेगी। इसकी वजह कंपनी की रिफाइनरी का परिचालन दिसंबर 2008 से शुरू हो जाएगा।
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के एक वरिष्ठ अधिकरी का कहना है कि हम पारादीप में प्रस्तावित अपनी रिफाइनरी परियोजना को किसी दूसरी जगह पर लगाने पर विचार कर रहे है। हमारी नजर किसी विशेष आर्थिक क्षेत्र पर है जिससे कंपनी को कर में छूट का लाभ मिल सके।
 ओएनजीसी के चेयरमैन आर एस शर्मा ने इस मामले में कहा,’जब भारत को रिफाइनिंग हब बनाने का सोचा समझा निर्णय लिया गया ऐसे में कर में छूट खत्म करने से इस क्षेत्र में अच्छा संदेश नहीं जाएगा।’
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बजट के बाद तेल एवं प्राकृतिक गैस क्षेत्र में होने वाले विकास पर कु छ सवालिया निशान जरूर लग गए हैं।
तेल खोजने और उत्पादन के जोखिम भरे व्यवसाय में कर छूट खत्म करने से कम फायदे वाला हो जाएगा।
ब्लॉक के लिए होने वाले अनुबंध तय हो जाते है और उनसे पीछे नहीं हटा जा सकता।
ओएनजीसी की योजना देश भर में अपने भंडारों से उत्पादन और विकास के लिए तकरीबन 480 अरब रुपये खर्च करने की योजना है। तेल एवं प्राकृतिक गैस की निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज की भी पूर्वी क्षेत्र में अपने दो गैस क्षेत्रों के विकास के लिए लगभग इतनी ही राशि खर्च करने की योजना है। शर्मा कहते हैं कि अगर इस तरह के प्रस्ताव आएंगे तो मुनाफा कम होता जाएगा। 

First Published - March 6, 2008 | 9:02 PM IST

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